आज जब हम भ्रष्टाचार ,धोखेबाजी की ख़बरें पढ़ते हैं,तो हमें कुछ भी नवीन नहीं लगता है हम इसके आदि हो गए हैं ,जबकि जीवन के अनेक पड़ावों पर हम इनसे प्रभावित होते हैं ,यह सारे विकार हमारे समाज में गहरी पेंठ बना चुके हैं। जगह-जगह पर हम असत्य का वातावरण देखते हैं ,ठगे जाते हैं पर कुछ नहीं कर पाते हैं, चिंता की बात यह है की,भ्रष्टाचार सिर्फ सरकारी तंत्र तथा राजनीति तक ही सीमित नहीं है यह आज की युवा पीढ़ी और अनेक क्षेत्रों में भी फैलती जा रही है। लालच में अंधे होकर अपनी जेब भरना व दिखावे की जिंदगी ,मात्र ही क्या जीवन का उद्देश्य है। हम अखबारों में मिलावटी दूध ,मिठाई ,मावा ,खोया ,मिलावट भरा पनीर ,नकली दवाएं ,साइबर फर्जीवाड़ा की ख़बरें पढ़ते हैं तो विश्वास नहीं कर पाते क्या असली है क्या नकली ,कौन धोखेबाज़ है, कौन सच्चा । ऐसा माहौल किसी भी प्रकार के विकास के लिए अवरोध ही नहीं दल दल है,कोई आश्चर्य की बात नहीं है की भारतीय बड़ी संख्या में इस दल दल में फस कर डूब रहे हैं ,ऐसे माहौल में नौकरियां कैसे बढ़ेगी ,लोगों को सुरक्षित जीवन कैसे मिलेगा यह गंभीर प्रश्न खड़ा हो गया है,इसका उत्तर भी किसी के पास भी नहीं हैं ।आइये जानते हैं घोटालों व फरेब के ऐसे किस्से जो हमें बताएँगे कि असत्य का माहौल कितना फ़ैल चूका है । हर आदमी का सपना होता है की उसका अपना घर हो और उसे पाने के लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण समय वह देता है। कई निम्न वर्ग के लोग तो बड़ी मुश्किल से इसके लिए पैसे इकट्ठे करते हैं। ग्राहकों ने नोएडा,गुरुग्राम में नामधारी बिल्डरों के यहाँ फ्लेट बुक किये ,पैसों का भुगतान करने के बाद भी उन्हें मकान नहीं मिला, कई साल तक प्रयत्न करने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा उनके लिए कोई मार्ग नहीं बचा। आज देश भर में जमीन फर्जीवाड़ा ,समय पर मकान नहीं मिलने से और जो सहूलियत मकान लेते वक्त बताये गए थे, उन्हें बिल्डरों द्वारा नहीं देने पर लाखों भारतीय व्यथित हैं( विशेष जानकारी : 2016 मार्च में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए “रेरा (RERA ) ” रियल एस्टेट (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट पास किया गया इसमें ५०० वर्ग मीटर से बड़ी जगह पर निर्माण कार्य करने के लिए बिल्डर को इसमें(रेरा) पंजीकरण करवाना अनिवार्य हो गया । तै किये गए समय पर निर्माण कार्य संपन्न हो वह भी रेरा की जिम्मेदारी है । बिल्डर द्वारा किया गया कोई वादा पूरा न करने पर ग्राहक इसमें शिकायत करके जल्दी फैसला पा सकता है ।नोट: इस बारे में पूरी जानकारी के लिए इस एक्ट का अच्छे से अध्ययन करे )
हम एक के बाद एक बैंकों में घोटाले देख रहे हैं। PMC बैंक में हुए घोटाले में हज़ारों ग्राहकों की पूँजी फस गयी है, कई लोगों ने तो सदमें के कारण आत्महत्या कर ली ,अब भारतीयों के मन में यह भावना आ रही है कि हमारे पैसे तक बैंकों में सुरक्षित नहीं हैं। आज बैंकों में डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ती जा रही है , अनेक लोग बैंकों से कर्जा ले रहे हैं पर वापस देने का नाम ही नहीं लेते, बैंकों के लाखों करोड़ रूपये इस तरह फंसे हुए हैं। जनता के पैंसों से जालसाज मौज उड़ा रहे हैं।(बैंकों को सलाह है ,अब बड़े लोन के बदले स्वरोजगार के इच्छुक लोगों को लोन व स्वरोज़गार करने की ट्रेनिंग देनी चाहिए)
नए पीढ़ी में फैलता असत्य का प्रयोग
आज देश में लाखों युवा कॉल सेंटर में काम करते हैं। कॉल सेंटर, नए पीढ़ी के लिए आय का अच्छा स्त्रोत है पर आये दिन, कॉल सेंटरों में युवाओं द्वारा ग्राहकों को बेवक़ूफ़ बनाकर ठग लेने की ख़बरें भी हम पढ़ते हैं । कुछ वर्ष पहले सैकड़ों युवक,युवतियां को मुंबई के एक कॉल सेंटर में विदेशी ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करते हुए पकड़ा गया, यह युवा अंग्रेजी बोलने में पारंगत थे तथा सभ्य परिवार से थे। हमारी शिक्षा व्यवस्था अगर नौजवानों में जिम्मेदारी तथा ईमानदारी की भावना पैदा नहीं कर पा रही है, तो इसमें सुधार की अत्यंत आवश्यकता है।(एक तो नौकरियां मिलती नहीं और अगर विदेश से भारत में आयी लाखों नौकरियों को हम लालच में इस तरह गवाँ दें तो यह एक गंभीर मामला है )
देश में अगर सबसे बड़ी कोई समस्या है तो वह है ,अज्ञानता को मिटाने व जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों की कमी की । देश में अभी भी कई गावों व छोटी शहरों में अज्ञानता का वास है, लोग अपना ज्ञान बढ़ाने व तजुर्बे से सीखने के बदले तांत्रिक बाबाओं व कुरीतियों के फेर में पड जाते हैं व उसी को मानकर समय व्यर्थ करते हैं। एक बात हमें समझनी चाहिए , “भगवान उसी की मदद करता है जो अपनी मदद करता है “। सेवा भावना से जीवन का उद्देश्य मिलता है, तथा परस्पर सहयोग से उद्यम के नए रास्ते खुलते हैं ।( अंधविश्वास में पड़ने से बेहतर है अपना ज्ञान बढ़ाना, तजुर्बे लेना व उससे सीखना )
आबादी की समस्या ।
देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है। आज के युग में बच्चों की परवरिश करना , उनके शिक्षा व साधनों की व्यवस्था करना बहुत खर्चीला हो गया है । बढ़ती हुए उम्र के बच्चों का ध्यान रखना आवश्यक है , ख़राब संगत तथा अत्यधिक मोबाइल के इस्तेमाल से कई बच्चों का जीवन तबाह हो रहा है ।आज गरीब व अमीर दोनों ही परिवार नियोजन के महत्व को समझ रहे हैं पर गरीब साधन तथा जानकारी के अभाव में परिवार नियोजन नहीं कर पाता। जागरूकता की कमी व सलाह न मिलने के कारण दुर्गम इलाके / गावों में निरंतर बच्चे पैदा होते रहते हैं जबकि इसका समाधान आज मौजूद है । परिवार नियोजन व अनचाहे गर्भ न ठहरने के लिए अनेक सस्ते तथा आसान तरीके है ,जो डॉक्टर की सलाह से इस्तेमाल कर सकते हैं । जहां हम जनसँख्या अनियंत्रित होने पर मात्र कोस कर अपनी व्यथा प्रकट करते हैं,उसके बदले परिवार नियोजन के तरीकों की जानकारी फैलाना एक बहुत ही बेहतर पर्याय है । देश में अज्ञानता मिटाने तथा जागरूकता बढ़ाने की जरुरत इसी से पता चलती है की आज भी भारत में अनेक परिवारों को घर में शौचालय बनाने के लिए जागरूक करना पड़ता है, साफ़ सफाई रखने के लिए निरंतर अभियान चलाना पड़ता है । ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए लगातार बताना पड़ता है ,बेटियों को पढाने तथा कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए प्रचार करना पड़ता है ।
आज देश में आंदोलन भी लगातार उग्र रूप धारण कर लेते हैं जिससे सभ्य नागरिक तथा समाज आहात होता है, अपनी मांगे मनवाने के लिए बसें फूँक देना , सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचना आम बात हो गयी है । देश में समस्याएं तो बहुत है, पर निपटारे के लिए समझौते का मार्ग अपनाना ही बेहतर है । मात्र सहूलियत पाने के लिए आंदोलन करना स्वार्थीपन है और असल जरुरतमंदों को इस वजह से सहायता मिलने में बाधा पहुँचती है । नागरिक अधिकारों के साथ-साथ नागरिक कर्तव्य का भी हमें सदैव रखना चाहिये, एक दूसरे की भावनाओं को समझना तथा उसका सम्मान करने से ही देश में भाईचारे तथा आपसी विश्वास का माहौल बढ़ेगा ,सत्य का पालन करने से अनेक कष्ट अपने आप ही समाप्त हो जायेंगे ।
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