जिन लोगों की मातृभाषा अंग्रेजी नहीं है, उनको अंग्रेजी समझने में दिक्कत हो सकती है। किताबों में नये- नये शब्द सीखने मे वक्त लगता है। अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने वाले, काफी बच्चे घर पर अंग्रेजी का माहौल न होने के कारण, तेजी से अंग्रेजी सीख नही पाते है। हर साल पाठ्यक्रम मुश्किल होता जाता है, व बढ़ता भी जाता है। किसी भी भाषा को सीखने के लिए धैर्य की जरुरत होती है। कभी कभी ज्यादा सामग्री डालने से खाना बेस्वाद हो जाता है। वैसे ही अत्याधिक पाठ्यक्रम कुछ बच्चों के सीखने में रुकावट बन जाती है ।
हर बच्चे मे काबिलियत होती है तथा अपने मानसिक बल के आधार पर वह सीखता है। कुछ विद्यार्थयों को कम समय सीमा मे सीखना संभव नही हो पाता।वे स्कूल द्वारा निर्धारित कार्यकर्म से ताल मेल नहीं बैठा पाते तथा इस वजह से पढाई में पीछे चलते हैं अंग्रेजी सीखने के लिए घर पर आसान किताबों से अभ्यास जरूरी है, साथ ही अंग्रेजी पढ़ने मे रूचि भी होनी चाहिए। आसान व रुचिकर किताबों के आभाव मे विधार्थी पूरे आत्मविश्वास से अंग्रेजी नही सीख पाते।
हिंदी मीडियम के विधार्थी, शुरुआत से ही सही मार्गदर्शक , सरल किताबों के आभाव मे अंग्रेजी मे पिछड़ जाते है। लिखना ,पढ़ना ,सुनना व बोलना सभी अंग्रेजी भाषा सीखने में आवश्यक है। प्रोत्साहन की कमी व रीडिंग की आदत न होने से अंग्रेजी मे अच्छे नही बन पाते। जैसे-जैसे क्लास बढ़ती है, आधे-अधूरे अंग्रेजी का ज्ञान पाकर , अंग्रेजी की मजबूत नीव नही रख पाते ।
टॉयलेट जा रहा हूँ को टॉयलेट ना कहकर वाशरूम क्यों कहें, इसे पहले समझते हैं ,कुछ समय पहले, कोई पैखाना गया है तो उसे टट्टी करने गया है ऐसा कहते थे ,आज अधिकतर लोग पैखाना या बाथरूम/वाशरूम गया है ऐसा बोलते हैं । कोई भी शब्द/वाक्य संवाद करते हुए अप्रिय ना लगे ऐसी चेष्टा सभ्य समाज में बल पकड़ रही है,हम अक्सर सुनते हैं राजनीतिज्ञ पॉलिटिकली करेक्ट भाषा का उपयोग करते हैं ताकि विरोध ना बढे ।
भाषा में भी निरंतर परिवर्तन आते रहतें है,अंग्रजी भाषा का सामान्य जीवन में प्रयोग बढ़ रहा है तो अंग्रेजी की कठिनता, व विविधता को समझना भी जरूरी ।आज देखने में आ रहा है कि कई विद्यार्थी १०-१५ साल अंग्रेजी में पढ़ाई करने के बाद भी अंग्रेजी में बोलने या उसे पूरी तरह समझने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं । लिखना, पढ़ना, बोलना यह अंग्रेजी के तीन अंग है । अंग्रेजी में पढ़ने की ताकत से नवीनतम जानकारियां मिलती रहती है व तकनीक की पढ़ाई में भी आसानी होती है । अंग्रेजी बोलने से हम, दुनिया के ज्यादातर देशों में संवाद कर पाते हैं । अंग्रेजी के लेखन व पत्रचार का अपना महत्व है । भारत में ऑफिस के काम ,बैंक, कॉल सेंटर, स्कूल ,कॉलेज, सरकारी प्रशासन व आम जिंदगी में इसे प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है । क्यों अंग्रेजी में अभ्यास करना व अंग्रेजी में बोलने से दिक्कत आती है इन्ही कुछ कारणों पर विचार करने की जरूरत है , ताकि हम सही तरीके से अंग्रेजी का इस्तेमाल करें । साधारण अंग्रेजी के वाक्य हिंदी में अच्छी तरह से भाषान्तरण हो जाते हैं पर यह हर वाक्य के लिए जरूरी भी नहीं है । हिंदी में अगर हम कहते हैं * मैं उसे देख रहा हूं * तो अंग्रेजी में ”आई एम सीइंग हिम ” कहना गलत है क्योंकि ”सी” एक (स्टेट वर्ब है ,यानी अवस्था को दर्शाने वाला शब्द ), इसे ”आयएनजी” फॉर्म में इस्तेमाल करना गलत है । वैसे अंग्रेजी में आई एम सीइंग हिम का हिंदी में मतलब बनेगा मेरा उससे (एक दोस्त से) मिलना जुलना है । रीड यानी की पढ़ना,यह वर्तमान काल में इस्तेमाल करते हैं , भूतकाल में रेड का इस्तेमाल होता है, पाठक ध्यान दें की दोनों काल में स्पेलिंग दोनों की वही रहती है (read ) । आय हैव कट माय हैंड, यस्टरडे यह गलत वाक्य है, आय हैव कट माय हैंड. यह सही क्योंकि हैव एक हेल्पिंग वर्ब है इसे वर्ब के पीछे उस परिस्तिथि में लगाया जाता है, जब हमें यह बताना है की भूतकाल में जो घटना घटी उसका प्रभाव वर्तमान में भी है, जो घटना भूतकाल में घट कर पूर्ण रूप से ख़त्म हो गई हैं उसके लिए , आय कट माय हैंड, यस्टरडे ऐसा कहा जाएगा । वर्ब के तीन फॉर्म हैं प्रेजेंट ,पास्ट और थर्ड फॉर्म । जैसे ”राइट”(लिखना) शब्द है, इसके तीनो फॉर्म हैं राइट ,उसका दूसरा फार्म है रोट, तीसरा है रिटेन ,कई शब्दों के तीनो फॉर्म एक ही रहते हैं जैसे (1) कट, (2) कट,(3) कट ।
अंग्रेजी में मेंढक को फ्रोग कहा जाता है ,जबकि जीव विज्ञान में उसे राना टाइगरीना कहा जाता है । भारत में खरगोश को लोग रैबिट कहते हैं लेकिन पश्चिम देशों में अक्सर ‘बनी’ शब्द का प्रयोग होता है । किसी भी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलने के लिए समयनुसार बदलाव लाना पड़ता है, अंग्रेजी भाषा में लेटिन ,फ्रेंच, जर्मन भाषा के शब्दों का समावेश है,इसमें अन्य भाषाओं के शब्दों का भी समावेश होता रहता है, ,इससे अंग्रेजी भाषा समय के साथ और सुदृढ़ हुई है । आज विद्यार्थी अंग्रजी में पढ़ाई करते हैं और ज्यादातर विद्यार्थी सिर्फ स्कूल/कॉलेज द्वारा बताई किताबें पढ़ते हैं । १०-१५ सालों में मात्र १००-१५० किताबें पढ़ने से अंग्रेजी की विशाल शब्दवाली का इस्तेमाल सामान्य जीवन में अनेक विद्यार्थी नहीं कर पाते । गैर लक्षित अध्ययन करना व विविध किताबें न पढ़ने की वजह से अंग्रेजी में उपलब्ध साहित्य पढ़ नहीं पाते ,पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है तो इसके कारण भी दिख रहें है ।
अमरीका में शब्दावली जांचने के लिए ”नेशनल स्पैलबी” प्रतियोगिता का हर साल आयोजन होता है ,इसमें हज़ारों विद्यार्थी भाग लेते हैं ,इस प्रतियोगिता में अंग्रजी शब्दावली में शामिल जर्मन ,फ्रेंच ,व लैटिन शब्द भी पूछी जाती है ,इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कई साल तक प्रतियोगी तैयारी करते हैं ,कहने की बात ही नहीं है इस दौरान व अनेक विषयों व परिस्थितयों को तैयारी करते हुए प्राकृतिक रुप से जान लेते हैं ।
अंग्रेजी भाषा को बोलने का ढंग हर देश में भिन्न हो सकता है । भारत में अगर हम कहें ” आर यू मैड” क्या तुम पागल हो , तो अमेरिका में ” आर यू सीरियस ‘” क्या होश में हो, यह भी सामान्य है ।भारत में हम डेवलपमेन्ट (विकास) कहते है उसे वहां डिवेलमेन्ट कहा जाता है । ऑस्ट्रेलिया में दोस्त को फ्रेंड नहीं मेट कहते हैं । अंग्रेजी में उच्चारण पर भी ध्यान देना पड़ता है, अंग्रेजी में सुनने की आदत डाल कर हम काफी हद तक इसे सीख सकते हैं ।अंग्रेजी सही ढंग से बोलने, लिखने, पढ़ने के साथ साथ हमे यह समझना होगा की आजकल ‘ग्लोबल एक्सेंट’ सीखने का चलन है । कुछ समय पहले एक पाकिस्तानी लड़की का वीडियो वायरल हुआ था जिसमे उसने यह हमारी कार है, यह हम है और यह हमारी पार्टी चल रही है कहा था । इस वाक्य में कार का उच्चारण ”खार्र ” ऐसा किया गया था व पार्टी को ”पारी” कहा गया था । यह अमरीकी शैली है संवाद करने की ,जिसमे र का प्रयोग करते हुए हम जीभ को थोड़ा लपेटते हैं , जिससे र हमे ”अर्र” सुनायी पड़ता है, टी को एकदम धीरे कहा जाता है जैसे हम उसे इंटरनेट कहते हैं वहाँ उसे इनरनेट कहते हैं, इसमें टी साइलेंट हो गया है । अंग्रेजी बोलने की यह शैली कर्णप्रिय लगती है । हॉलीवुड के फिल्मों की लोकप्रियता में इस भाषा शैली ने बड़ी भूमिका निभाई है ।
आज अंग्रेजी इस तरह से बोलने का चलन बढ़ रहा है, जिससे अपने देश में ही नहीं पर दुनिया भर में अंग्रेजी बोलने पर, समझने में आसानी हो ,इस तरह से ‘’सीएनएन ‘’,’’अल जजीरा ‘’ न्यूज़ चैनेल में बोला जाता रहा है । पूर्व में भारत में कुछ लोग कुछ शब्दों का अलग ढंग से उच्चारण करते थे, एम को यम व एन को यन कहते थे । इसे प्रकार की बोली को मूल बोलने वाले ”मदर टंग इन्फ्लुएंस ” कहते है ।आय लाइक डेट को आय लाइक डेट ओनली भी बोलना सही नहीं है । ओनली का इस्तेमाल बेवजह है । अंग्रेजी सीखने का अभ्यास करते हुए एक बात तो समझ में आ गयी होगी की इसे समय सीमा में बंध कर नहीं सीखा जा सकता है ।
अंग्रेजी के साथ- साथ हिंदी का भी ज्ञान उतना ही जरूरी है । भारत में उपलब्ध स्वरोजगार केअवसरों का लाभ लेने के लिए हिंदी का अच्छा ज्ञान होना भी आवश्यक है, जिससे उसमे उपलब्ध साहित्य को पढ़कर, भारत की मिट्टी संस्कृति व इतिहास की परम्पराओं का ज्ञान मिलें । अनेक मामलों में हिंदी अंग्रेजी से बेहतर है लेकिन यह चर्चा फिर कभी ।
लेख राजीव मगन द्वारा (लेखक ”क्या भारत में बेरोजगारी की समस्या है या सीखने की”)
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