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भारत पर ब्रितानी हुकूमत का संक्षिप्त इतिहास व उससे लिए गए महत्वपूर्ण सबक

भारत पर ब्रितानी हुकूमत का संक्षिप्त इतिहास व उससे लिए गए महत्वपूर्ण सबक

दुनिया के इतिहास को प्रभावित करने में जितनी भूमिका ग्रेट ब्रिटेन की रही है, शायद ही किसी अन्य देश की होगी,अगर हम उसका आकार देखेंगे तो वह महाराष्ट्र के बराबर ही होगा, लेकिन एक समय में 50 से भी ज्यादा देशों पर उसका राज था । भारत उनके ताज में सबसे सुन्दर गहना है , ऐसा उनका मानना था, ऐसा क्या था उनमें जिसने उन्हें इतना शक्तिशाली बनाया तथा भारत को उनसे आजादी कैसे मिली, आइये देखते हैं।
मध्यकालीन(१५००) समय तक ब्रिटेन में  व्यवस्था बनने की शुरुआत होने लगी थी (सर्वसामान्य को शिक्षा तथा मानव अधिकार मिलने की प्रक्रिया ने तेजी से जोर पकड़ लिया था) भारत में तो यह आज़ादी के बाद ही संभव हुआब्रिटेन में शताब्दियों तक लड़ाई,भुखमरी,बीमारी तथा आंदोलन चले । फ्रांस देश के साथ तो सैकड़ों साल तक उनका युद्ध चला(आज वे मित्र देश हैं,पहला और दूसरा विश्व युद्ध साथ मिलकर लड़ा ) । हैजा फैलने से एक समय इंग्लैंड की आबादी आधी हो गयी थी (1347- 1351) , ऐसे अनेक तजुर्बों व शिक्षा के फैलाव के कारण नयी चेतना आयी ,कई नए फलसफों का जनम हुआ । ,अंधविश्वास के बदले विज्ञान में लोगों का विश्वास बढ़ा ,उसी समय Newton ने गुरुत्वाकर्षण तथा गति के नियमों से लोगों को जागरूक किया ,जॉन लोक (विचारक) ने सर्वसामान्य को आज़ादी तथा खुशी पाने के हर व्यक्ति के मौलिक अधिकार के बारे में किताब लिखी ,(आगे चलकर अमरीकी संविधान में इसपर आधारित बातों को अपनाया गया ),इंग्लैंड कई खेलों का भी जन्म दाता बना क्रिकेट ,फूटबाल ,टेनिस ,बैडमिंटन,रुग्बी । किताबें पढ़ना ,डायरी लिखना व खेलों में भाग लेना उनके मुख्य शौक थे,इंग्लिस्तान में .मौसम के कठिनायाँ थीं व संसाधनों का अभाव था ,सर्वसामान्य को सख्त और परिश्रम  भरा जीवन बिताना पड़ता था । चोरी करने पर कठोर दंड दिया जाता था, १२ साल के लड़कों को भी इस तरह के जुर्म के लिए फांसी देने की ख़बरें हैं । वहाँ पर शिक्षा की शुरुआत  ग्रामार स्कूलों से हुई ,इसमें भाषा सीखने पर ध्यान केंद्रित था । दुसरे स्कूलों में संगीत या विज्ञान और ज्यामिती सिखाई जाती थी । वहाँ की दो विश्व की दो पुरानी व बेहतरीन संस्था ऑक्सफोर्ड (११९६) व कैंब्रिज(१२०९) आज भी विद्यार्थियों को शिक्षा सुविधा प्रधान करती है । कालांतर में यह ” ग्रामर ” स्कूल देशभर में फैलने लगे व इन स्कूलों को धनवान लोग भी मदद करते थे ।कोई भी कला/हुनर जैसे बढ़ई,लोहार इत्यादि सीखने की अवधी सात साल (अप्रेंटीशिप ) की थी । बढ़ई या लोहार काम में उतरने के लिए जीवन के 7 साल देने पड़ते थे । ”जेम्स हारग्रीव्स” एक बधाई व बुनकर थे ,अनपढ़ होते हुए भी स्पिन्निंग जेनी का आविष्कार १७६५ में किया , अपनी निरिक्षण की शक्ति से यह संभव किया (यह मशीन, औद्योगिक क्रांति लाने में मील का पत्थर बना)। 
अंग्रेज़ों ने अपने जोखिम उठाने व विश्लेषण करने की शक्ति से देश के बाहर व्यापार करना शुरू किया । खेलों व साहसिक कार्यों से उन्होंने डर को जीत लिया था । मंज़िल पर पहुँचने के लिए अपने पूर्व के अनुभव पर भरोसा करते । वे  महीनों तक समुद्री यात्रा कर लेते, ऊंची लहरों को पार करते हुए जिंदगी व मौत से खेलने उनका स्वभाव बन गया था ,कालांतर में वे समुद्र के बेताज बादशाह बने । उनके पास नए उत्पाद,बेहतर जहाज, हथियार व कूटनीती की शक्ति थी । वे साहसी अभियान करने से मानसिक तथा शारीरिक तौर पर बेहद मजबूत बन गए थे ,उसी के दम पर अपना दबदबा दुनिया में कायम करने लगे । ।  भारत में अंग्रेज  व्यापारी बनकर आये ,पर परिस्थितियों को समझकर , उन्होंने भारत के हुक्मरानों के साथ टक्कर ली तथा भारत के एक बड़े भूभाग पर अपना अधिकार जमा लिया । भारत तो पहले से ही खंड-खंड में बिखरा था, इसलिए उन्होंने ज्यादा परेशानी नहीं हुई । 1857 में उन्होंने बंगाल को सिराजुदौला से जीत लिया इसमें सिराजुदौला के सेनापति मीर जाफर ने अंग्रेजों की मदद की थी, इस तरह घर के भेदी ने ही लंका ढहाई थी, कुछ सदी पहले जयचंद ने भी इसी तरह मोहमद गौरी से मिलकर दिल्ली के राजा पृथ्वी राज चौहान को हराया था ।
अंग्रेज “व्यापारियों (“ईस्ट इंडिया कंपनी”) ने एक के बाद एक भारत के राजाओं,सूबेदारों,सुल्तानों को हराकर सम्पूर्ण भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। कई वीर राजाओं ने युद्ध किया तथा कई ने उनसे संधी कर उनका स्वामित्व अपना लिया ,इस तरह लगभग भारत के ६० प्रतिशत भूखंड पर उन्होंने अपना सीधा राज स्थापित था और लगभग ४० फीसदी भूखंड पर राजकुमारों और सुल्तानों  के द्वारा अपरोक्ष रूप से शासन किया । अपनी सेना में अंग्रेजों ने भारत के सभी धर्मों व जाति के लोगों को शामिल  किया। भारत का मौसम अंग्रेजों को बहुत रास आया, यहाँ ब्रिटेन के ठण्डे मौसम के अनुपात में काफी गर्मी थी लोग भी सीधे-साधे थे। यहाँ पर अनेक बाग़, बगीचे ,वन, झरने ,प्राकर्तिक सौंदर्य के स्त्रोत थे,  नाना प्रकार के खाद्यान,फलों,मसाले,जड़ीबूटी व खनिज पदार्थों का अम्बार था, अपने फायदे के लिए उन्होंने इसका दोहन शुरू किया, बिना मूलभूत व्यवस्था बनाये यह संभव नहीं था और इस काम के लिए पढ़े लिखे लोगों की भी जरुरत थी । अंग्रेजों ने भारत में व्यवस्था लाने की सोची, शिक्षा व्यवस्था को लागू करने का काम शुरू किया, साथ ही न्याय प्रणाली को सुदृढ़ किया । भारत को ब्रिटेन में बने हुए उत्पादों के लिए बाजार बनाने में भी लग गए इससे भारतीय कारीगर व किसान जो पारम्परिक तौर पर काम कर रहे थे ,उन्हें भारी नुक्सान हुआ और बेरोजगारी बढ़ी । 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सेना में बगावत हुई, इसे कुचल दिया गया ।

उसके बाद ब्रिटेन की महारानी ने भारत को अपने अधिकार में ले लिया, अपने ही देश में भारतियों को गुलामी भरी जिंदगी बितानी पड़ रही थी तथा अपने भाग्य का फैसला करने का हक़ अब पूरी तरह से अंग्रेजी हुकूमत के पास था। किसानों से कर वसूली  के उनके तरीके सख्त थे और इससे कई किसान कर्ज में डूब जाते व उनके हाथ से जमीन निकल जाती, भारत को अपने उत्पादों के लिए बाजार बनाने के लिए उन्होंने भारत में निर्माण होने वाली कई देसी चीजों पर पाबंदियां लगाईं जिससे पारम्परिक भारतीय कारीगरों व कलाओं को बड़ा नुक्सान पहुंचा ,भारतीय कारीगरों की आमदनी पर इससे गहरा असर हुआ और उन्हें नए सिरे से रोजगार ढूँढना पड़ा ,भारत में अंग्रेजी व्यापारियों ने किसानों को नील की खेती करने पर मजबूर करके उनका उत्पीड़न किया ।भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही थी ,अज्ञानता व जागरूकता की कमी से साधारण जनमानस जूझ रहा था । भारत में स्कूल ,कॉलेजों के आगमन से पढ़े लिखे, युवा निकलने लगे थे, ज्ञान के प्रकाश ने उनके सोच को विकसित किया था तथा वे गुलामी , दरिद्रता की जिंदगी से भारतियों को निकलना चाहते थे, अपने फैसले खुद लेने का हक़ पाना चाहते थे, कई जगहों पर भारतीयों से भेदभाव होता था और काबिलयत होने के बावजूद उन्हें दुय्यम स्थान से संतोष करना पड़ता था । अंग्रेजों की दमनकारी नीतियां तथा जुल्म से जनता त्राहीमाम हो रही थी, वहीं पर अंग्रेज अपने “राज” का फल चखने में मशगूल थे।
स्वतंत्रता सेनानियों की फौज खड़ी होने लगी थी, इस फौज का नेतृत्व कर रहे थे भारत के पढ़े लिखे युवा तथा कांग्रेस पार्टी के नेता  गांधी जी ,उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ अहिंसक आंदोलन छेड़ दिया था । भारत के साधारण लोग व गांववासियों को जगाने और प्रताड़ना के खिलाफ लड़ने के कार्यक्रम ने भी जोर पकड़ लिया था । जात पात तथा धार्मिक भेद भाव को  परे रखकर यह आंदोलन शुरू हुआ था ,कई स्वतंत्रता सेनानी इस आंदोलन में मारे गए तथा घायल हुए पर अहिंसक लड़ाई तथा असहयोग आंदोलन जारी रखा,कई क्रांतिकारियों ने भी ब्रिटिश हुकूमत पर हमले किये और परेशान किया,जवाब में उन्हें फांसी दी गयी या  उन्हें  कारावास के लिए  “अंडमान द्वीप” (काला  पानी)भेजा जाता , जहां उन्हें कठोर जीवन बिताना पड़ता और कई यातनाएं भी सहनी पड़ती  ,अनेक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद “स्वतंत्रता” की आग को हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने खून पसीने से जलाये रखा । जब दूसरा विश्व युद्ध 1939 में छिड़ा, जो लगभग 6 साल तक चला, तो उसने ब्रिटेन को आर्थिक तथा सामरिक दृष्टि से काफी कमजोर बना दिया, आखिरकार भारत ने अंग्रेजो से 15अगस्त 1947 में आजादी हासिल कर ली , लेकिन एक कीमत भी उसे चुकानी पड़ी जिसमें भारत का बंटवारा करके पाकिस्तान देश बना।
आजादी मिलने के समय रियासतों तथा प्रदेशों को जोड़कर भारत में विलय कराने का महत्वपूर्ण कार्य सरदार वल्लभाई पटेल ने किया । जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने तथा देश के सुन्दर भविष्य की नीव रखी ।
अंग्रेजी शासन से लिए गए कुछ महत्वपूर्ण सबक
अंग्रेजों ने लम्बे समय(लगभग २००साल) तक भारत में राज किया जब अंग्रेज भारत आये थे तब भारत आर्थिक दृष्टि से संपन्न था, लेकिन यह बात भी सच है कि अनेक रियासतों व सूबों में बंटे होने के कारण अंग्रेजों को भारत पर कब्ज़ा करने में आसानी हुई। अंग्रेजी “सख्त” शासक थे, पर भारत में कईं सुधार व कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने की , उनके राज में समान न्याय व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, रेलवे,डाकघर का आगाज हुआ। उन्होंने निर्दयी सती प्रथा ,बाल विवाह रोकने के लिए कानून बनाये।भारत के लम्बे इतिहास में पहली बार किसी हुकूमत ने सती प्रथा जैसे अमानवीय कृत्य पर क़ानून बनाकर रोक लगाने में सफलता हासिल की थी । कुछ लोग अंग्रेजों को अंग्रेजी भाषा में सीखाने के लिए दोष देते हैं (जैसे उनके पास कोई और चारा था) ,क्या उस वक्त उनके पास अंग्रेजी के विस्तृत पाठ्यक्रम को भाषांतरण करने के साधन भी उपलब्ध थे ? सर्वसामान्य को शिक्षा के अधिकार की शुरुवात करवाना क्या काम बड़ी बात थी ? कालान्तर में उनके द्वारा शुरू की गयी शिक्षा व्यवस्था के व्यापक फैलाव ने भारतीयों में जागरूकता बढ़ाई व भारत को संपूर्ण आज़ादी मिलने में भी सहायक बनी ।
अविभाजित भारत के आधुनिक नक़्शे (१७६७ से शुरू हुआ) को बनाने  का अति महत्त्वपूर्ण कार्य उन्होंने शुरू किया, इसे बनाने में उन्हें 150 साल लगे, यह बिखरे हुए भारत के एक होने की भी कहानी थी । जब उन्नीसवीं सदी के मध्य में भारत के UP में भयंकर सूखा पडा और लाखों लोगों की जान चली गयी तब गंगा नदी पर नहरें (कनाल) बनाकर  प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाया गया ,यह असंभव लगने वाला कार्य प्रोबी कौटली ने संभव किया था ।उनके शासन में मुंबई और मद्रास, भारत के प्रमुख बंदरगाह के रूप में स्थापित हुए.तथा वहाँ पर शिक्षा के बेहतरीन केंद्र खुले व व्यापार और औद्योग को भी बढ़ावा मिला, आज यह दोनों भारत के प्रमुख महानगर हैं । आज हम देश की बदहाली के लिए मुग़ल तथा अंग्रेजों को दोष देते हैं पर यह बात भी सच है कि उनकी बनायीं हुई इमारतें , किले आज भी साबुत खड़ीं हैं । आज के दौर में तो सड़कें बनते-बनते ही कई जगह से टूट जाती है, या आगे चलकर गड्ढों में तब्दील हो जाती है, इससे होने वाले दुर्घटना में हज़ारों भारतीय मर जाते हैं । भारत की शान तथा भारत की एकता, अखंडता का प्रतीक हमारी सशत्र सेना को एक संगठित तथा अनुशासित शक्ति बनाकर, हमें देने में अंग्रेजों का बड़ा योगदान है ।
भारत के सम्पूर्ण इतिहास को पढ़ने से यह पता चलता है कि अज्ञानता, निहित स्वार्थ तथा संकीर्ण सोच ही हमारे गुलाम बनने तथा विकाशील देशों के कतार में खड़े होने का कारण है। देशवासी एक दूसरों के हितों का ध्यान रखकर परस्पर सहयोग से जल्दी ही देश को विकसित व संपन्न देश बना सकते हैं । देश में अज्ञानता जल्द दूर करने से तथा महत्वपूर्ण मसलों पर जागरूकता फ़ैलाने से विकास कार्य को बल मिलेगा।

 स्पेशल नोट  :  मानव अधिकारों की परिकल्पना इंग्लैंड में हुई थी । १२१५ में वहाँ के शासक राजा जॉन को वहाँ के जमींदारों (बैरॉन ) ने संधी करने पर मजबूर किया ,जिसमे राजा को उनके साथ मानवीय व्यवहार करने ,बिना न्यायिक प्रक्रिया के दोषी ना ठहराए जाने और कर लगाने से पहले रज़ामंदी लेने की बातें थी । इस संधी पत्र में पहली बार इतिहास में राजा को उसके अधिकार बताये गए थे और यह भी बताया गया था की वह भी कानून से ऊपर नहीं है । जब यह सब बातें एक घोषणा पत्र में बताये गए तब उसे “मेगना कार्टा(“महान घोषणा पत्र “) कहा गया ।आगे चलकर यह संधी अनेक बार टूटी और नए अंदाज़ में लागू हुई , लेकिन धीरे धीरे “मेगना कार्टा” आम लोगों को मानव अधिकार दिलाने तथा दुनिया भर के क्रांतिकारीयों व विचारकों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी ,इसने दुनिया में लोकतंत्र बहाल करने में भी अपने भूमिका निभायी । १६२८ में प्रजा के लिए फैसले लेने का अधिकार इंग्लैंड के राजा के बदले जन प्रतिनिधियों को हासिल हो गया ।मेगना कार्टा” ने अन्य देशों के विचारशील लोगों को भी अपने यहां लोकतंत्र बहाल करने के लिए ,समानता व न्यायोचित व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया । 

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