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"अंग्रेज़ी सीखने की विधि "

”  इंलिश  लर्निंग 1, 2,3 “

अंग्रेज़ी सीखने के विधि  से हम रोजमर्रा के उपयोग के लिए अंग्रेजी ,आसानी से सीख सकतें हैं । अंग्रेजी के जरूरी “विषय”इसमें चित्रों द्वारा समझायें  गयें है, जिससे रटने की जरूरत ना पड़े व सीखा हुआ याद रहे ।अंग्रेजी में पढ़ना, लिखना ,सुनना, और बोलना सभी की अहमियत है लेकिन पढ़ना और लिखना इसका मूल है। अच्छी शब्दावली होना अंग्रेजी सीखने में महत्त्वपूर्ण है ,अंग्रेजी में  लाखों शब्द हैं और सैकड़ों नियम भी हैं  , इस वजह से कई लोग इसमें महारत हासिल करने से चूक जाते , इतने सारे शब्दों को याद करना भी आसान नहीं है परन्तु  “रीडिंग की आदत” से यह संभव हो सकता है । अंग्रेजी में वाक्य  रचना  करने के लिए अनेक नियम हैं , कुछ जरूरी नियमों को ध्यान रखकर वाक्य रचना सुधार सकते हैं । अभ्यास करने की विधि सरल है ,इंग्लिश लर्निंग 1 , २ ओर ३ से पहले सारे “१ no  के पाठ  को एक बार पढ़ लें,जैसे noun1 ,adjective1 ,verb1 ,pronoun1 ,simple  present  tense1 present continuos1,simple past tense1………..,,,,,,,conjunction 1  ,फिर एक एक करके सभी विषय को अच्छे से पढ़ें तथा वाक्य  बनाने की  प्रैक्टिस करें..उदाहरण, पाठ में  एक वाक्य है  “Ramesh   is  a  good  boy ” आप इसे ” Mohan  is  a  good  boy ” ऐसे प्रैक्टिस कर सकतें है .दूसरा उदाहरण  “Tom has two pencils ”  आप इसे  “Manish   has  two  pencils ”   या “Tom has  three  pens ” ऐसे वाक्य बनाकर प्रैक्टिस कर सकते हैं ध्यान रहे आप वाक्य में सिर्फ नाम या वस्तु  बदल रहे हैं, वाक्य में बाकी सब समान रहता है(ध्यान रखें आप नाम बदलें पर लिंग ना बदले) । इस तरह आप इस पाठ में सैकड़ों वाक्यों को अपने तरह से  बनाकर अभ्यास  कर सकतें हैं और वाक्य रचना मजबूत कर सकते हैं । पहले छोटे वाक्य बनाना सीखें , पाठ में short notes  भी  हैं, इन्हे पढ़कर किसी भी विषय पर कुछ वाक्य लिखना सीखें और फिर उसे अकेले में बोलने की प्रैक्टिस करें ,इससे आपमें विश्वास जागेगा और आप किसी से भी बातचीत कर सकेंगे ।पाठक इन लेखों (noun1 ,adjective1…….. ..verb1 …pronoun1 ,इत्यादी की प्रिंट कॉपी भी निकलवा लें ताकि अपने सुविधाअनुसार अभ्यास कर सकें,इसमें मात्र ३००-४०० रुपयों का खर्च है । किसी  भी समस्या  के लिए ईमेल करें या 8439585375 पर कॉल करें (5pm-6pm  )। 

इस वेबसाइट को मैंने अमरीकी लोगों के साथ सालों संवाद करने तथा वहां की शिक्षा प्रथा को समझने के बाद तैयार किया है,वहां पर मैंने स्वयंशिक्षा से विद्या हासिल करने की बड़ी ख़ास बात को समझा और यही प्रयास यहाँ भी किया है। इस वेबसाइट में विधार्थीयों को रटने के बदले विषय को सीखने के लिए साधन उपलब्ध कराएं है ।उल्लेखनीय है की भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था में भी विभिन्न तरीकों से शिक्षा मिलती  थी । इस पाठ्यक्रम में हम,अंग्रेजी में निपुण बनने के लिए परम्परागत तरीकों का इस्तेमाल नहीं करते, अपितु किताबों, इंटरनेट व मार्गदर्शन से इसे खुद सीखते हैं, साथ ही “रीडिंग की आदत भी बनाते हैं” जिससे भाषा सीखने का जीवन भर फायदा मिले, आज अंग्रेजी सीखने के लिए आसान किताबें, ,वीडियोज मौजूद है तो क्यों ना हम हिम्मत व प्रयत्न करके इसे खुद सीखें इसमे हम दूसरे किताबों से स्वयं अभ्यास करके भी सीखते हैं ,आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन भी लेते हैं  यह सब व्यवस्था इस लिए की गयी है ताकि  बेसिक इंग्लिश व ग्रामर सीखते हुए किताबें पढ़ने की भी आदत बनाएं ,जिससे साहित्यिक ज्ञान पाकर भाषा का जीवन में पूरा फायदा मिले

रीडिंग की आदत क्या है ?गैर लक्षित अध्ययन से फायदे
इसमें हम खाली समय में विविध किताबें,अखबार,उपन्यास अपने मनोरंजन के लिए पढ़ते हैं ,यह भी एक तरह की पढाई है पर स्कूल ,कॉलेज के पाठ्यक्रम की तरह इसमें हमें परिक्षा देने की आवयशकता नहीं है । इस तरह की पढाई कैसे हमें काम आती है यह समझते हैं । क्या हम अपनी मातृ भाषा किसी से सीखते हैं नहीं । हम बाल्य अवस्था में उसे सुनते हैं और कुछ वर्षों बाद उसे बोलने लगते हैं , माँ बाप से थोड़ी सहायता ही हमें इसमें मिलती है । हम बाल्य अवस्था में शब्दों और संवाद को अधचेतन अवस्था में सुनते हैं और चेतन आने पर उसे बोलने लगते हैं ,इसी तरह बिना किसी परीक्षा देने हेतु , किताबें पढ़ना भी हमे जीवन के महत्त्वपूर्ण क्षणों में फायदेमंद साबित होता है । जब हम मात्र अपने लिए किताबें पढ़तें हैं, तो इस दौरान मिले ज्ञान से कैसे फायदा पहुंचता है इसे  समझते हैं । लिया हुआ ज्ञान ,हमारे अधचेतन दिमाग में समा जाता है ,समय आने पर यही ज्ञान हमें जीवन के अनेक पलों में सहायता करता है । जीवन में हर जगह अभ्यास किये गए विषय का ”ज्ञान/डिग्री” ही नहीं काम आता ,जीवन तो अनिश्चिताओं से भरा पड़ा हैं ,इससे पार करने के लिए हमें दुसरे  जीवन उपयोगी बातें व विषयों का ज्ञान होना जरूरी हैं ,रीडिंग की आदत से हम इन्हे चरणों में सीखते हैं ।  यह प्रक्रिया जो जीवन भर करता हैं उसे इसके असीम फायदे मिलते हैं। कोई आश्चर्य नहीं हैं की अरबपति बिल गेट्स,आज भी किताबें पढ़ते हैं । विश्व की बड़ी कम्पिनयों के उच्च अधिकारी कम से कम चार किताबें हर महीने पढ़ते हैं ,यह महत्त्वपूर्ण आदत समय रहते बनाना जरूरी है , इससे हम फिर से ज्ञान में आते हैं ,यह एक तरह की स्वयं शिक्षा है लेकिन इसमें हमें किसी के प्रति उत्तरदायित्व नहीं है ,यह अपने साथ वक्त बिताने का भी मार्ग खोल देता है, इससे आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने सामर्थ व कमियों को जानने का अवसर मिलता हैं ,साथ ही भाषा का ज्ञान भी बढता है ,रीडिंग की आदत  बेहद सुकून भरा स्वस्थ मनोरंजन है ,इसके लिए समय निकालना ही चाहिए । ज्ञानस्तम्भ के लेखों में रीडिंग की आदत निर्माण करने हेतु ,भाषा सीखने तथा स्वयं विकास के लिए लिखे हुए लेखों को पढ़कर अवश्य लाभ उठायें ।  

धाराप्रवाह अंग्रेजी कैसे बोलें 

अंग्रेजी के पहाड़ पर फ़तेह करने की मेरी दास्तान
 अंग्रेजी से जूझने की बात करूँ तो लगभग २० साल तक अंग्रेजी में मैंने पढाई की, पर अंग्रेजी बोल नहीं पाया क्योंकि इसका कोई माहौल नहीं था, यह सब जबकि मैं अंग्रेजी की हजारों किताबें पढ़ चूका था। मैं  खुशनसीब था की मेरे निवास स्थान पर एक पुस्तकालय था,वहाँ मुझे नित नए किताबें पढ़ने का मौक़ा  मिलता था  इससे मेरी अंग्रेजी  तथा हिंदी प्राकृतिकढंग से मजबूत होती  गयी ।अंग्रेजी न बोल पाने का मुख्य कारण था,की बोलने का अभ्यास करने के लिए कोई साथी नहीं था ,जब मेरे सामने कोई फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता तो मुझे ग्लानी होती हालांकि अंग्रेजी  लिखने ,पढ़ने में मुझे कोई परेशानी नहीं थी । अंग्रेजी बोलने के लिए मैंने कुछ अंग्रेजी बोलनेवालों से दोस्ती बढायी और उनके साथ अंग्रेजी में बोलने का अभ्यास करने लगा, लगभग एक वर्ष में, मैं ठीक ठाक ढंग से अंग्रेजी बोलने लगा। मेरे कुछ मित्र बहुत दमदार अंग्रेजी बोलते थे, मैं भी उनके जैसा उत्कृष्ट अंग्रेजी बोलना चाहता था, फिर इस कार्य के लिए मैंने उनसे मित्रता घनिष्ट की और अंग्रेजी में खूब चर्चा करने लगा, इस कार्य को करने में मुझे तीन से चार साल लगे, जिससे मैं अंग्रेजी धारा प्रवाह बोलने लगा, इसका फायदा मुझे ३३वें साल में  मिला ,जब मुझे भारत में ही अमरीका की एक महान कंपनी में काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ,उन्हें उत्कृष्ट ढंग से अंग्रेजी बोलने वालों की आवश्यकता थी, अगले दस साल इसी कौशल को निखारने का अवसर भी मिला । नौकरी लगने से दस साल पहले ,  मैंने कंप्यूटर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया था , जिसमें मेरे  विविध किताबें ,अख़बार पढ़ने का ज्ञान खूब काम आया और उसी की बदौलत अपने पसंद के  स्वरोजगार(कंप्यूटर शिक्षा) के क्षेत्र में उतर पाया ,अपने व्यवसाय के दिनों में मुझे अंग्रेजी बोलनेकी बाध्यता नहीं थी, परन्तु ज्ञान व समझदारी की आवश्यकता थी, मेरी किताब पढ़ने की आदत से यह मुझे प्राकृतिक रूप से मिली थी । चरणों में अंग्रेजी लिखना ,पढ़ना, बोलना मेरे लिए फायदेमन्द साबित हुआ। आज  यह  देखने में आ रहा की जिसकी अंग्रेजी अच्छी है, उसकी  हिंदी कमजोर है ,अपनी बात करूँ तो हिंदी की विविध मनोरंजक किताबें पढ़ने की वजह से ही भाषा पर  पकड़ बनी । अंग्रेजी बेहतर करने के लिए पढ़ें लेख ” कैसे अंग्रेजी को आसान बनायें नौसीखियों के लिए” ,समस्या आने पर 8439585375 पर कॉल करें ।