दुनिया में अंग्रेजी तथा हिंदी बोलने वालों के जमा संख्या लगभग 500cr है | जीवन में भाषा ,(पढ़ना ,लिखना,बोलना)आवश्यक है | विविध स्त्रोतों से जानकारी लेने के लिए पढ़ना,लोगों से संवाद करना तथा पत्राचार,लेखन कार्य यह सब भाषा की बदौलत ही होता है, इनमे पारंगत होने से रोजगार के कई अवसर प्राप्त होते हैं | भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राओ हिंदी,मराठी,इंग्लिश,तेलगू ,कन्नड़ ,बंगाली भाषाएँ बोलते थे और जॉर्ज फर्नांडेस (पूर्व रेलवे व सुरक्षा मंत्री)भी कई भारतीय भाषाएँ जानते थे ,मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद जिन्होंने स्वतंत्र भारत में शिक्षा की मजबूत आधारशिला रखी वह भी हिंदी,अंग्रेजी ,उर्दू ,अरबी,फारसी ,बंगाली भाषाएँ जानते थे,इन महापुरुषों के जीवन से हम यह सीख ले सकते हैं , जितनी भाषाएँ तथा संस्कृति जानकारी आप को हो उतना ही अच्छा है |आज के जमाने में बहुत सारे लोग अच्छी तरह अंग्रेजी या हिंदी नहीं पढ़ पाने से जीवन में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारी से वंचित रह जाते है, कोई पढ़ना तो जानता है पर किताबें पढ़ने की आदत नहीं है ,किसी के अंग्रेजी पढ़ने की ताकत कमजोर है ,तो किसी की हिंदी की ,नतीजा अपने दायरे में ही सिमट कर रह जाते हैं और अज्ञानता के सागर में तैरते रहते हैं| समय रहते इसपर काम करना आवश्यक है आज हमे घर बैठे अपने सुविधा अनुसार हिंदी/अंग्रेजी का ज्ञान बढ़ने की उत्तम सुविधा प्रदान है ,तो इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए |
क्या हम अपनी मातृभाषा किसी से बोलना सीखते हैं?
जी नहीं | उसे सीखने ,बोलने में मददगार बनता है, हमारा माहौल | पहले कुछ साल तो हम भाषा को सुनते हैं, इस दौरान हमारा दिमाग अर्धचेतन अवस्था में काफी शब्द जमा कर लेता है, उसके कुछ समय बाद हम धीरे-धीरे छोटे वाक्यों से बोलने की शुरुआत करते हैं | भाषा बोलने में थोड़ी मदद घर वालों से मिलती है पर भाषा को हम अपरोक्ष रूप से खुद ही सीखते हैं |
अगर हम घर बैठे अंग्रेजी या हिंदी भाषा सीखना या उसका ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं, तो रीडिंग की आदत डालकर ऐसा कर सकते हैं |“रीडिंग की आदत “यानी खाली समय में विविध किताबें,उपन्यास,अखबार पढ़ना | यह आदत आज कल के विद्यार्थियों में कम ही है | सम्पूर्णता में ज्ञान के ना होने से वे आत्मविश्वास की कमी से जूझ रहें हैं |
अंग्रेजी या हिंदी समझने व पढ़ने के लिए जरूरत है “अच्छे शब्दावली की” |समय निकालकर किताबें पढ़ने से हमारी शब्दावली बेहतर होती जाएगी और अंग्रजी /हिंदी पढ़ने में आसानी होगी ,” उसी तरह से जैसे बचपन में हमने शब्द सुने और वक्त आने पर बोलने लगे”..
शब्दावली बढ़ाने के कुछ तरीके
आसान चित्र किताबें लेकर, हम नये नये शब्द सीख सकते हैं
इन किताबों में शब्द का अर्थ नजदीक में दिए गए चित्रों से समझना आसान है , ऐसी किताबें पढ़कर हम काफी सारे शब्द सीख सकते हैं |अपनी मन पसंद किताबें ,अपने सुविधानुसार पढ़ने से कोई दबाब नहीं रहता, इस तरह पढ़ने से काफी शब्द हमारे अर्धचेतन मन में जमा हो जाता है| यही शब्द बाद में पढ़ने व बोलने में काम आते हैं, हमें ऐसी पुस्तकें भी पढ़नी हैं, जिसमे छोटे, छोटे वाक्य हो, इससे मतलब समझने में आसानी होगी, ऐसी किताबों को लाना होगा, तथा पढ़ने की आदत बनानी होगी| हमें अपनी समझ तथा पसंद अनुसार किताबें खरीदनी हैं, जिससे हमें लगातार पढ़ने में आसानी हो| कुछ ,एक शब्द समझ न आये तो डिक्शनरी,गूगल से मतलब समझ भी सकते हैं | एक और तरीके से आप शब्दों का अर्थ जान सकते हैं, हालाँकि इसके लिए भी आपको काफी सारी किताबें पढ़ने की आदत डालनी पड़ेगी, अगर कोई वाक्य है जिसमे चार-पांच शब्द है, और एक का अर्थ आपको समझ नहीं आ रहा है, तो आप इस शब्द के बारे में अंदाजा लगाएं ,चुकीं उस शब्द के तार दूसरे शब्दों से जुड़े होंगे, तो आपको अंदाजा लगाने में आसानी होगी और सम्भव है की अपने जो अंदाजा लगाया वही उसका सही अर्थ हो, इस तरह से आपको हर शब्द के लिए गूगल/डिक्शनरी पर देखने की जरूरत नहीं होगी तथा आप लगातार रीडिंग कर सकेंगे , इससे आपकी शब्दावली तथा वाक्यों की समझ बढ़ती चली जाएगी |बाद में मौक़ा पाने पर उस की जाँच कर सकते हो |
एक और बात , मुश्किल तथा बड़े वाक्यों वाली किताबें पढ़ने से पहले छोटी- छोटी किताबें पढ़कर, भाषा में पारंगत हो जाएं | एक गलती, यह भी हम करते है की, भाषा बोलने की जल्दी में शब्दावली तथा वाक्य सरंचना का अभ्यास नहीं करते, इस वजह से हम भाषा का संक्षिप्त लाभ हीं उठा पाते हैं| अंग्रेजी पढ़ना, लिखना, सुनना, तथा बोलने में समय लगता है| इसलिए सब को पर्याप्त समय देना जरूरी है| शब्दावली व वाक्य रचना ,आपकी सही तरीके से अंग्रेजी बोलने में मदद करेगा | रीडिंग की आदत से जीवन में भाषा के अनेक लाभ मिलेंगे,आगे के लेखों में इस पर विस्तार से बताया गया है|
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