15 से 25 वर्ष तक का समय युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इन वर्षों में युवा अपने सुन्दर भविष्य की मजबूत नीव रख सकते हैं, समुचित ज्ञान,कौशल,तजुर्बा हासिल करके वे अपने आप को जीवन की कठिनाइयों को पार करने के लिए तैयार कर सकते हैं।
नये ज़माने में युवाओं के लिए कदम कदम पर बाधाएं तथा भ्रमित करने वाले तत्व मौजूद हैं। कई युवा इससे विचलित हो रहे हैं ,तथा लक्ष्य से भटक रहे हैं । कुछ इन्हीं बातों पर प्रकाश डालने के लिए यह लेख जरूरी था।
15 से 25 वर्ष के युवा अपने शरीर को धीरे-धीरे समझने लगते हैं। युवकों में इस दौरान शरीर गठीला होता है तथा वीर्य पतन से युवकों को जवान होने का एहसास होता है । युवकों को यह जानना आवश्यक है कि इसी वीर्य से बच्चे उत्पन्न होते हैं। लड़कियों में मासिक धर्म (रक्तस्राव) लगभग इसी उम्र से शुरू होता है, यहाँ पर उन्हें भी इस बात को समझना चाहिए ,कि वे अब माँ बनने के लायक बन गयी है । यह बात ध्यान देने वाली है की भारत सरकार ने लड़कियों कि शादी की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की है ताकि शारीरिक व मानसिक रूप से पहले वे पूर्ण तरह से सक्षम हो, इसी प्रकार लड़कों की शादी की उम्र 21 साल निर्धारित किया गया है । पहले ज़माने में 18 साल से कम लड़कियों की शादी बाल विवाह के तहत करा दी जाती थी जिससे बच्चे को जन्म देने के समय शरीर पूर्ण रूप से विकसित न होने के कारण उनकी अक्सर मौत हो जाती थी।
जवानी की दहलीज में कदम रखते हुए युवकों,व युवतियों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ने लगता है, यह स्वाभाविक भी है ।
युवक विशेष करके लड़कियों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं,तथा उनसे दोस्ती करना चाहते हैं । आमतौर पर दोस्ती रखने में कोई हर्ज नहीं होनी चाहिए पर कई परिवार, समुदाय में इसकी इजाज़त नहीं है, इसलिए इस बारे में घर परिवार व मार्ग दर्शकों से इजाज़त तथा परामर्श लेना जरूरी है।
कई बार दोस्तों के बहकावे में या उत्सुकतावश युवा नशे की लत के शिकार भी बन जाते हैं, किसी भी प्रकार का नशा जीवन बर्बाद कर सकता है यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिए, विशेष कर अफीम, चरस लेने से तो मौत भी हो जाती है यह समझना आवश्यक है। आजकल कई फिल्मों में जीवन का उद्देश्य सिर्फ प्यार में सफल होना बताया जाता है जो की आधा सच है, युवा भ्रमित होकर घर छोड़ देते हैं तथा जीवन नष्ट कर लेते हैं। हर चीज़ मर्यादा में रहकर करनी चाहिए यह समझना अति आवश्यक है । सबसे पहले प्यार मिट्टी से होना चाहिए जो हमें अन्न,जल,व छाया प्रदान करती है , फिर माँ बाप व जानवरों से करनी चाहिए । आजकल इंटरनेट में अशलील फिल्में आसानी से उपलब्ध है,इन्हें देखना तथा इनका आदि बन जाना जीवन में बहुत नुकसान पहुंचा सकता है तथा इससे हर क्षण बचना चाहिए। कई जवान बच्चे गलत संगत तथा अश्लीलता देखने कि वजह से दुष्कर्मों को अंजाम दे रहे हैं और फिर अपने आप को जेल की सलाखों के पीछे पा रहें हैं , इस तरह अपनी आजादी भी खो देते हैं तथा माँ बाप को जीवन भर दुःख का भागीदार बना देते हैं। युवाओं को शारीरिक सम्बन्ध बनाने में सावधानी बरतनी होगी ,परिपक्व तथा जिम्मेदार नागरिक बनने से पहले ऐसे सम्बन्ध बनाने से नुक्सान होगा यह भी जान लेना चाहिए ,युवकों को एक महत्वपूर्ण बात समझनी चाहिए की लड़कियों से दोस्ती रखने में बुराई नहीं है लेकिन उसका फायदा उठाने के उपक्रम में अपना व लड़की की जिंदगी से खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं,उनके द्वारा उठाया गया कोई भी गलत कदम लड़की या स्त्री को बदनाम कर सकता है तथा अनैतिक यौन सम्बन्ध से गर्भ भी ठहर सकता है जो की एक खतरनाक स्थिति है ,18 वर्ष से कम की कन्या से शारीरिक सम्बन्ध बनाना कानूनी अपराध है चाहे उसमे लड़की की रज़ामंदी क्यों ना हो ।जवानी की देहलीज़ में कदम रखते हुए युवाओं को अच्छी संगत रखनी है तथा ज्ञान बढ़ाने के प्रति ध्यान केंद्रित करना है ,अपना समय व्यायाम,खेल,तथा स्वस्थ मनोरंजन की किताबें पढ़ने में लगानी है, नृत्य,गाने या अन्य कोई शौक पालकर , युवा अपने आप को सुरक्षित रख सकतें हैं ,मातापिता ,अभिभावक इन बातों पर जरूर ध्यान देवे ,देहरादून के एक बड़े स्कूल में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में लड़कों को लम्बी सज़ाएँ मिली ,इस कृत्य को छुपाने की एवज में स्कूल के कारिंदो को भी जेल की सज़ा काटने पड़ रही है ,समय रहते बच्चों में ऐसी बातों के प्रति सजगता तथा जागरूकता लाने से, ऐसी घटनाओं में कमी आ सकती है,बच्चों से इस बारे में सही समय देखकर बात करने की आवश्यकता आज भारतीय समाज में महसूस की जा रही है ।
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