किताबें ,उपन्यास व अखबार पढ़ना आज के दौर में क्यों प्रासंगिक है?

किताबों उपन्यास व अखबार पढ़ना आज के दौर में क्यों प्रासंगिक है?

किताबें ,उपन्यास व अखबार पढ़ना  खाली समय में किताबें पढ़ना बहुत सुकून व आनंदमय कार्य है। बिना किसी दबाव के मनपसंद किताबें पढ़ना दिमाग के लिए आरामदायक कार्य है। इसे जिंदगी भर जारी रखकर हम जीवन बेहतर बना सकते है।
पुराने ज़माने में ज्यादा स्कूल कॉलेज या डिग्री कोर्स नहीं होते थे। पढ़े लिखे आदमी को तब भी नौकरी की कमी नहीं रहती थी । जिसे किताबों से ज्ञान व जीवन में उचित तजुर्बा हासिल था ,उसकी क़द्र तब भी हुआ करती ।

आधुनिक युग में किताबें पढ़ने की आदत अरबपतियों व मशहूर लोगों की आदत में आज भी शामिल है। में समझता हूँ की बिल गेट्स (माइक्रोसॉफ्ट), वारेन बफेट  ( बर्कशायर हेथवे   )  व कई अति अमीर लोग, आज भी किताबें पढ़ते है, व उनके लिए वक्त निकालते हैं।

फ्लिपकार्ट तथा अमेजान के मालिक ने करियर की शुरुआत ऑनलाइन बुक स्टोर से की थी । जैक मा (अली बाबा .कॉम ) इंग्लिश पढ़ाते  थे। पाठकों को इन सब में  एक कड़ी नजर आयेगी ।

गांधीजी, नेहरू व बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी किताबें पढ़ने का शौक रखते थे तथा किताबें भी लिखी। हम जानते हैं की कई आविष्कारकों व खोजियों  ने  पहले के आविष्कारकों व खोजियों के कार्यों को पढ़ा तथा उनके अधूरे कार्य को आगे बढाकर नए खोज तथा अविष्कार किये । “पढ़ना तो दिमाग का भोजन है”। जिन्होंने खाली समय में पढ़ने की आदत डाली व चिंतन किया, वे लोग साधरण से असाधारण बन गए

तारक मेहता का उल्टा चश्मा ” जो की एक किताब पर आधारित है ,आज के समय में सबसे लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक है। इसके निर्माता तथा कार्य करने वाले कलाकारों ने बेशुमार दौलत कमाई है  । काफी लोगों ने किताब पढ़ी होगी लेकिन एक व्यक्ति ने उसी नाम से धारावाहिक बनाने की ठानी और बाकी तो इतिहास बन गया ।

सबमरीन (पनडुब्बी) की परिकल्पना  (ट्वेंटी थाउजेंड लीग्स  अंडर द सी ) नामक किताब से की गयी थी| 

कम पढ़े लिखे व्यक्ति को पढ़ने की आदत से जीवन में तरक्की का रास्ता मिल सकता है | धीरे -धीरे मन-पसंद किताबों से शुरुआत करके, वे इतिहास, विज्ञान, भाषा ,स्वयं व कौशल विकास की किताबों  से ज्ञान ले सकते है| अपने खाली वक्त का इस्तेमाल, ज्ञान लेकर , जिंदगी को व्यवस्थित कर सकते है, इस तरह वे   प्रगति मार्ग  और की अग्रसर हो सकते है| 

अगर हम इतिहास में झांके, तब देखते ,  है कि  पश्चिमी देशों में भारी उथल-पुथल, लड़ाइयां , सदियों तक चली| लेकिन जैसे-जैसे लोगों ने अपने कौशल व ज्ञान अर्जित करने के लिए   प्रयास शुरू किये,  परिस्तिथि बदलने लगी| तब किताबें जानकारी का मुख्य स्त्रोतों में  से एक थी| जैसे जैसे लोगों की जानकारी, भाषा, इतिहास,कानून,विज्ञान व दूसरे देशों के संस्कृति , मान्यताओं के बारे में बढ़ी, तो बदलाव आने लगा। हेनरी थोरियो ” अमेरिकी  (लेखक ,राजनीतिज्ञ), ने    “सभ्य अवज्ञा   ” पर किताब लिखी थी  जो , 1849 में  प्रकाशित हुयी, आगे चलकर महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन का उपयोग कर भारत को स्वतंत्रता दिलाई|

अमेरिका देश के संस्थापक पिताओं में से एक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने कम उम्र से किताबों द्वारा खुद को पढ़ाया व स्वावलम्बी  बनाया| उन्होंने लाइटिंग राड, बाय  फोकल का अविष्कार किया | अमरीकी सविधान लिखने व आजादी दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था | कम उम्र से ही उन्होंने लाइब्रेरी का महत्व समझा व मुफ्त लाइब्रेरी की शुरुआत की| वे चाहते थे की और नागरिक भी इसका लाभ उठाये| जीवन भर ज्ञान अर्जित करना व प्रयोग करना उन्होंने छोड़ा नहीं ,इस तरह अपने कमाए हुए ज्ञान को सार्थक किया | नये पीढ़ी को  पाठ्यक्रम से  बहुत जानकारी  मिलती है ,पर प्रयोग करने के अवसर कम मिलते है| अपनी रूचि व मन-पसंद किताबें पढ़कर हम अपने जीवन मार्ग के बारे में जानकारी ले सकते हैं| बेंजामिन फ्रेंकलिन की तरह किताबों की सहायता से उद्यम कर सकते है| 

 

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