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हमारे बारे में

भाषा तो एक अथाह सागर है । किसी भी विषय को सीखने के लिए भाषा में पारंगत होना अति आवश्यक है । शब्दावली गहरी होना,अच्छी अंग्रेजी का परिचायक है । पाठकों को अंग्रेजी की कठिनाइयों व विशाल शब्दावली से वाकिफ करने के लिए एक उदाहरण पेश करता हूं। जैसे अगर ऑफिस में कोई नया व्यक्ति काम की शुरुआत कर रहा है तो उस व्यक्ति के लिए किस प्रकार अलग-अलग तरीके से संबोधन कर सकते हैं । सामान्य बोलचाल में ”ही इज ऐ न्यू कमर” (वह नया व्यक्ति है)ऐसा कहेंगे या ”ही इज ऐ स्टार्टर” वह नया है (शुरुआत कर रहा है) , ”ही इज ऐ बिगनर ” (वह शुरुआत कर रहा है) ,ही ”इज ऐ नोविस” (वह नया है) काम सीख रहा है , ” ही इज ऐ ग्रीनहौन ”, ही इज ऐ न्यूबी” , इन सारे वाक्यों में व्यक्ति नया है यह बताने के लिए छे अलग-अलग शब्द का इस्तेमाल किया गया है ,पाठक इस उदाहरण से अंग्रेजी की विविधता तथा विशालता को समझ गए होंगे । सही मार्गदर्शन तथा उचित समय देने पर, इसमे महारथ हासिल की जा सकती है इसी उद्देश्य से ज्ञानशाला ने रीडिंग की आदत के निर्माण हेतु कोर्स प्रारम्भ किया है । पढ़ने की आदत क्या है ,खाली समय में स्वस्थ मनोरंजन व ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ने की आदत बनाना ।गैर लक्षित अध्ययन (रीडिंग की आदत ) करके इसमें उपलब्ध विशाल साहित्य को पढ़ना भी जरूरी है ,इससे भाषा की ताकत भी बढ़ती है , अंग्रेजी की लाखों किताबें हर साल छपती है ,अंग्रेजी का पूरा फायदा तब मिलता है जब पाठ्यक्रम के अलावा , विविध किताबें पढ़कर हम साहित्य में रूची लेते हैं ।आज किताबें पढ़ना विश्व की महानतम कंपनियों के बड़े-बड़े अधिकारियों की आदत में शुमार हैं ,वे भी विभिन्न स्त्रोत से निरन्तर ज्ञान बढ़ाने की जरूरत महसूस करते हैं । सही समय में किताबें पढ़ने को आदत बनाने की विद्यार्थियों को जरूरत है ,विविध किताबें पढ़ना एक आनंदमय कार्यक्रम होना चाहिए तभी इसमें दूर तक जा सकतें हैं ।
।बच्चों पर आजकल पढाई का काफी दबाब है इसलिए उनके मनोरंजन के लिए सेंटर मैं चैस,और कैरम सीखने तथा खेलने की व्यवस्था की गयी है । स्वस्थ मनोरंजन के प्रति रूचि जगाना भी हमारा उद्देश्य है

2. पढ़ने की आदत विकसित करने की आवश्यकता.

बहुत से बच्चों को अंग्रेजी पढ़ने व समझने मे दिक्कत होती है । आसान चित्र किताबों के अभाव मे अंग्रेजी पढ़ना मुश्किल लगता है। अंग्रेजी मे है लाखों शब्द उचित मार्ग दर्शन न मिलने के कारण अंग्रेजी मुश्किल लगती है, तथा जीवन पर्यन्त किताबें पढ़ने की आदत नहीं बन पाती, जो कि एक आवश्यक जीवन कौशल है ।
ज्ञानशाला सेंटर पर विधार्थियों को उनकी मनपसंद किताबें उपलब्ध करायी जाती है तथा कोर्स की किताबों के अलावा दूसरी ज्ञानवर्धक व मनोरंजन किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है । पढ़ते समय किसी भी समस्या के होने पर उसका निदान भी किया जाता है । यहाँ पर बच्चों के खेलने के लिए उचित ब्यवस्था है, जिसमे उन्हें चैस ,कैरम, ब्लॉक बिल्डिंग, क्रॉसवर्ड खिलाया जाता है । बच्चों को विभिन्न किताबें पढ़ने मैं आनंद मिले तथा सामूहिक खेल से मनोरंजन हो ऐसा माहौल बनाया जाता है । धीरे धीरे स्कूली पाठ्यक्रम के आलावा दूसरी किताबें पढ़ने की आदत बनायीं जाती हैं,जो की भाषा को सीखने के लिए महत्वपूर्ण बात है, यही इस कोर्स का मकसद है ।

3. ज्ञानशाला मे बच्चों की दिनचर्या

हफ्ते में 5 दिन .लगभग एक घण्टा. 30 से 40 मिनट गेम्स व 20 से 30 मिनट किताबें पढ़ने की आदत।
प्रत्येक खेल सीखने हेतु छात्रों को एक माह का समय दिया जाता है। उपयुक्त माहौल बनने के बाद ही अंग्रेजी मे बच्चों से बातचीत की जाती है ।

सेंटर पर उपलब्ध किताबों का लेखा जोखा

कहानी की किताबें बच्चों व बड़ों के लिए 
विज्ञान पढ़ने की आदत से सबंधित चित्र किताबें, पेड़ पौधे, जानवरों तथा पक्षियों इत्यादि, 
अमरचित्र कथा कॉमिक्स, महाभारत तथा ऐतिहासिक पुरुषों पर अनेक किताबें ।
इनसाइक्लोपीडिया तथा डिक्शनरी व अंग्रेजी सीखने की किताबें ।
महान लेखक जैसे रविंद्र नाथ टैगोर, शेक्सपीअर, प्रेमचंद्र, चार्ल्स डिकेंस आदि की किताबें ।
प्रेरणादायक किताबें व स्वास्थ्य तथा रोजगार संभावनाओं की अनेक किताबें भी उपलब्ध है ।
पाठक इनका लाभ अवश्य उठायें 

कोर्स के दौरान पहले के विधार्थियों से लिए गए तजुर्बे ।

बच्चों को इस नए कौशल के बारे मैं पता नहीं रहता । बिना कोई दबाब के अपनी मन पसंद कहानियों की किताबें पढ़ने की आदत उन्हें अच्छा लगता है । लगातार रीडिंग करने से उनकी अंग्रेजी ,हिंदी, विज्ञान जैसे विषयों मैं मजबूत नीव बनती है । वे वेकेशन तथा छुट्टियों मे ज्यादा किताबें पढ़ पाते हैं । बच्चे सामूहिक खेलों द्वारा एक दूसरे से बहुत कुछ सीखते हैं व मिलजुल कर भी काम करने का अभ्यास होता हैं।

रीडिंग की आदत क्या है (गैर लक्षित अध्ययन) विस्तार में समझते हैं ?
इसमें हम खाली समय में विविध किताबें,अखबार,उपन्यास अपने मनोरंजन के लिए पढ़ते हैं ,यह भी एक तरह की पढाई है पर स्कूल ,कॉलेज के पाठ्यक्रम की तरह इसमें हमें परिक्षा देने की आवयशकता नहीं है ,इस तरह की पढाई कैसे हमें काम आती है यह समझते हैं । क्या हम अपनी मातृ भाषा किसी से सीखते हैं ,नहीं ! हम बाल्य अवस्था में उसे सुनते हैं और कुछ वर्षों बाद उसे बोलने लगते हैं , माँ बाप से थोड़ी सहायता ही हमें इसमें मिलती है ,हम बाल्य अवस्था में शब्दों और संवाद को अधचेतन अवस्था में सुनते हैं और चेतन आने पर उसे बोलने लगते हैं ,इसी तरह बिना किसी परिक्षा देने हेतु , किताबें पढ़ना भी हमे जीवन के महत्त्वपूर्ण क्षणों में फायदेमंद साबित होता है ,इस दौरान लिया हुआ ज्ञान हमें कैसे फायदेमंद होता हैं यह समझते हैं , जब हम बिना किसी दबाव के ,मात्र अपने लिए किताबें पढ़तें हैं, तो इस दौरान लिया हुआ ज्ञान हमारे अधचेतन दिमाग में समा जाता है ,समय आने पर यही ज्ञान हमें जीवन के अनेक पलों में सहायता करता हैं ,जीवन में हर जगह पर मात्र अपने अभ्यास किये गए विषय का ज्ञान/डिग्री ही नहीं काम आता ,जीवन तो अनिश्चिताओं से भरा पड़ा हैं ,इससे पार करने के लिए हमें दुसरे भी कई जीवन उपयोगी बातें व विषयों का ज्ञान होना जरूरी हैं ,रीडिंग की आदत से हम इन्हे चरणों में सीखते हैं , यह प्रक्रिया जो जीवन भर करता हैं उसे इसके असीम फायदे मिलते हैं ,कोई आश्चर्य नहीं हैं की अरबपति बिल गेट्स,भी किताबें पढ़ते हैं , विश्व के बड़ी कम्पिनयों के उच्च अधिकारी कम से कम चार किताबें हर महीने पढ़ते हैं ,यह महत्त्वपूर्ण समय रहते बनाना जरूरी है , इससे हम फिर से ज्ञान में आते हैं ,यह एक तरह की स्वयं शिक्षा हैं लेकिन इसमें हमें किसी के प्रति उत्तरदाईत्व नहीं है ,यह अपने साथ वक्त बिताने का भी मार्ग खोल देता है, आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में इससे अपने सामर्थ व कमियों को जानने का अवसर मिलता हैं ,साथ ही भाषा का ज्ञान भी बढता हैं ,रीडिंग की आदत  बेहद सुकून भरा स्वस्थ मनोरंजन है ,इसके लिए समय निकालना ही चाहिए ।

कोर्स के दौरान कुछ बातें ध्यान रखने योग्य

हर बच्चे की समझ अलग होती है व उसके सीखने व समझने की शक्ति भी अलग होती है । किसी बच्चे को सीखते हुए अधिक समय लगता है तो इस दौरान उसे माता पिता के प्रोत्साहन की जरुरत होती है । पढ़ने की आदत निर्माण करने में समय तो लगता है (2 से 4 ) वर्ष । कुछ बच्चे सेंटर की किताबें घर पर भी पढ़ते है जिस हेतु, माता पिता द्वारा उचित मार्गदर्शन आवश्यक है । माता पिता को समयानुसार रीडिंग कोर्स के दूरगामी फायदे बताना इस कोर्स का भाग है ।

अंग्रेजी के पहाड़ पर चढाई कैसे करें 
अंग्रेजी में आज शिक्षा  लेना बहुतायत की इच्छा व आवश्यकता दोनों बन गयी है। शहर के स्कूल के साथ-साथ आज सरकारी स्कूल में भी अंग्रेजी को आरंभिक  शिक्षा से ही  प्रस्तुत किया जा रहा है। अंग्रेजी में पढाई करने से स्वास्थ्य,यांत्रिकी, मैनेजमेंट के क्षेत्रों में ऊँची शिक्षा हासिल करने में आसानी होती है । इंटरनेट की भाषा भी मुख्यत अंग्रेजी ही है, ये सब बातें अंग्रेजी की अनिवार्यता को सिद्ध  करती है ,अपने एक लेख में हिंदी की अनिवार्यता के बारे में मैंने लिखा। व्यक्ति दो,तीन भाषाएं अवश्य सीख सकता है, उन भाषाओँ में लिखना, पढ़ना, बोलना इन , तीनो बातों में उत्कृष्ट बनना मुश्किल तो है,लेकिन चरणों में संभव हो सकता है। 10 वीं, 12 वीं की पढाई अपनी मातृभाषा में इसलिए करना श्रेयस्कर है क्योंकि इससे  विद्यार्थी का मूल (बेस )अच्छा बन सकता है,अपने मातृभाषा में विषय को समझने में आसानी होती है। कई विद्यार्थी अंग्रेजी मीडियम में दाखिला लेते हैं पर
, अंग्रेजी में पढ़ना  उन्हें एक कठिन कार्य लगता है , अंग्रेजी के शव्दों को पहले समझना फिर उसे याद रखना, यह इसलिए भी मुश्किल होता है क्योंकि यह उनकी मातृभाषा नहीं है, घर पर अंग्रेजी का भी माहौल नहीं मिलता, घर पर अधिकतर हिंदी या अपनी मातृभाषा में बातचीत होती है, टीवी के कार्यक्रम भी उसी प्रकार हम देखते हैं। पठन पाठन  की सामग्री भी हिंदी में रहती है, अपने साथ  के कई  विद्यार्थियों को मैंने 10वीं के  बाद पढ़ाई छोड़ते हुए देखा, दस साल अंग्रेजी माध्यम  में पढाई  करने के बाद उनका पढ़ाई  से ही  मन उठ गया ,आखिर कब तक उलाहना झेलते ,अंग्रेजी के पहाड़ को पार करने का कोई साधन भी तो नहीं था उनके पास । अंग्रेजी  में लाखों कठिन शब्द हैं, अगर विद्यार्थी पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी किताबें  पढ़ने की आदत बनाएं तो अंग्रेजी में रूचि बढ़ सकती है ,अपनी पसंद की किताबें पढ़ने से अंग्रेजी का ज्ञान बढ़ सकता है, जरूरत इस आदत को बनाने की व इसके लिए समय निकालने की, निरंतरता से पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी किताबें पढ़ने की आदत अंग्रेजी को आसान बनाने  में  बहुत कारगर (उपयोगी) है, आवश्यकता है ऐसी किताबों की जो अंग्रेजी को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बना दे। आज बुक स्टोर मे तमाम किताबें   हैं, जरुरत  उन्हें खरीदने की ,इसके लिए पैसे खर्च करना कोई पैसा की बर्बादी नहीं है, अपितु एक बहुत अच्छा निवेश है, कपडे व जूते में पैसे लगाने के कुछ समय बाद उनकी उपयोगिता जाती  रहती, परन्तु ज्ञान में निवेश करने से जीवन भर लाभ मिलता है, यह तो सर्वविदित है।

 
 

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