आज कौशल विकास के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है।”कौशल” खेती करने का हो या मशीनो पर काम करने का ,उसे अच्छे मार्गदर्शन में सीखना जरुरी है ,
आज देश में कौशल विकास करने के लिए युवकों के पास अनेक क्षेत्र है, जरुरत है अपने व्यक्तित्व अनुसार उसका चुनाव करने की ,” पद अथवा पैसा” इसका चुनाव करने का एक मात्र कारण नहीं बन सकता है,अपने चुने हुए कार्य में रूचि होना भी आवश्यक है,बेहतर तो यही है की जीवन में अपने लिए हुए अनुभव,ज्ञान व तजुर्बेगार लोगों की सलाह से “कौशल विकास” करने का क्षेत्र ढूढ़े । आज विद्यार्थियों के लिए डिग्री कोर्सेस हैं (आर्ट्स,कॉमर्स,साइंस), बहुत से मेधावी छात्र तो पहले से IIT, MBBS के लिए तैयारी करते हैं ,१०/ १२ वी के बाद पॉलिटेक्निक,नर्सिंग,होटल मेनेजमेंट,मर्चेंट नेवी में दाखिला लेते हैं ।
कुछ विद्यार्थी इन कॉलेज/ कोर्सेस में एडमिशन तो ले लेते हैं, पर वहां पर पढाई तथा प्रेक्टिकल के सही व्यवस्था न होने पर पिछड़ जाते हैं, इससे उनके सीखने में बाधा आ जाती है , मेधावी होने पर भी राह से भटक जाते हैं ।
“कौशल विकास / पढाई करने से जीवन मार्ग आसान होगा और उसे पूरी गंभीरता से लेना चाहिए, ऐसी समझ हर विद्यार्थी में नहीं होती, इसलिए पढाई के साथ साथ खेल ,सामाजिक कार्य,यात्राएं तथा अनुभव से सीखने के लिए भी प्रयत्न होने चाहिए , जिससे व्यक्ति को अपना स्वाभाव ,गुण व मनपसंद कार्य समझने का अवसर मिले ,उन्नत देशों में छात्रों को इस तरह के कई अनुभवों से गुजरने का लाभ मिलता है और इसके जबरदस्त परिणाम भी हम देखते हैं,परिपक्वता आने पर कॅरिअर का चुनाव करना श्रेयसकर है । माता पिता व अभिभावकों को भी यह समझना है की हर विद्यार्थी बड़ा इंजीनयर ,वैज्ञानिक,डॉक्टर,अफसर नहीं बन सकता। हर विद्यार्थी की सोच, गुण, भिन्न् होते हैं ,अपने गुणों को पहचानकर अपने चुने हुए क्षेत्र में एक वैज्ञानिक सोच रखकर वह नयी चीज़े बना सकता है , इन कार्यों के लिए पर्याप्त समय देना भी आवश्यक है।
सबसे बड़ा कौशल तो रीडिंग की आदत है
रीडिंग की आदत क्या है ?
इसमें हम खाली समय में विविध किताबें,अखबार,उपन्यास अपने मनोरंजन के लिए पढ़ते हैं ,यह भी एक तरह की पढाई है पर स्कूल ,कॉलेज के पाठ्यक्रम की तरह इसमें हमें परिक्षा देने की आवयशकता नहीं है ,इस तरह की पढाई का ज्ञान हमें कैसे काम आता है यह समझते हैं । क्या हम अपनी मातृ भाषा किसी से सीखते हैं ,नहीं , हम बाल्य अवस्था में उसे सुनते हैं और कुछ वर्षों बाद उसे बोलने लगते हैं , माँ बाप से थोड़ी सहायता ही हमें इसमें मिलती है ,हम बाल्य अवस्था में शब्दों और संवाद को अधचेतन अवस्था में सुनते हैं और चेतन आने पर उसे बोलने लगते हैं ,इसी तरह बिना किसी परिक्षा देने हेतु , किताबें पढ़ना भी हमे जीवन के महत्त्वपूर्ण क्षणों में फायदेमंद साबित होता है ,जब हम बिना किसी दबाव के मात्र अपने लिए किताबें पढ़तें हैं, तो इस दौरान लिया हुआ ज्ञान हमारे अधचेतन दिमाग में समा जाता है ,समय आने पर यही ज्ञान हमें जीवन के अनेक पलों में सहायता करता हैं ,जीवन में हर जगह पर मात्र अपने अभ्यास किये गए विषय का ज्ञान/डिग्री ही नहीं काम आता ,जीवन तो अनिश्चिताओं से भरा पड़ा हैं ,इससे पार करने के लिए हमें दुसरे भी कई जीवन उपयोगी बातें व विषयों का ज्ञान होना जरूरी हैं ,रीडिंग की आदत से हम विभिन्न किताबों से जीवन उपयोगी बातें सीखते हैं , यह प्रक्रिया जो जीवन भर करता हैं उसे इसके असीम फायदे मिलते हैं ,कोई आश्चर्य नहीं हैं की अरबपति बिल गेट्स,आज भी किताबें पढ़ते हैं , विश्व के बड़ी कम्पिनयों के उच्च अधिकारी कम से कम चार किताबें हर महीने पढ़ते हैं ,यह महत्त्वपूर्ण आदत समय रहते बनाना जरूरी है , इससे हम फिर से ज्ञान में आते हैं ,यह एक तरह की स्वयं शिक्षा हैं लेकिन इसमें किसी के प्रति उत्तरदाईत्व नहीं है ,यह अपने साथ वक्त बिताने का भी मार्ग खोल देता है, आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में इससे अपने सामर्थ व कमियों को जानने का अवसर मिलता हैं ,साथ ही भाषा का ज्ञान भी बढता है ,रीडिंग की आदत बेहद सुकून भरा स्वस्थ मनोरंजन है ,इसके लिए समय निकालना ही चाहिए ।
“स्वरोजगार विशेष “
आज गाँव में व छोटे शहरों में अनेक स्थानों पर “स्वरोजगार” के अवसर हैं । यहां पर दुकाने जैसे स्वीट शॉप ,वेल्डिंग ,फर्नीचर, परचून ,कोचिंग, कंप्यूटर व टाइपिंग क्लास ,स्टेशनरी ,लाइब्रेरी,बुक स्टोर ,कौशल विकास, पंचकर्म व योग केंद्र ,बेकरी, होटल ,कपडे ,व जूते की दूकान अपनी पसंद व तजुर्बे अनुसार खोली जा सकती है । साथ ही यहां निर्माण,इलेक्ट्रिक व प्लंबिंग कार्य के लिए भी अवसर है,लघु उद्योग जैसे मशरुम,स्ट्रॉबेरी खेती, अचार, पापड़ नाश्ते की चीजें ,फर्नीचर बनाना ,आयुर्वेदिक उत्पाद व अन्य उद्योग शुरू करने के लिए भी अवसर है, सबसे बड़ी बात है की गांव में जगह खरीदना/ किराय पर लेना बड़े शहर के अपेक्षाकृत सस्ता है व मजदूरी भी सस्ती है,यह सब किसी भी व्यापार/स्वरोजगार को शुरुवात करने के लिए आवश्यक है ।अपने काम को सफल बनाने के लिए परिश्रम, कौशल के अलावा अच्छी आदतें ,संतुलित,खानपान व संगठित
शक्ति की भी आवश्यकती आज मेहसूस की जा रही है । “पतंजली एक केस स्टडी” लेख में हम स्वरोजगार करने में संगठन व सेवा कार्य के महत्त्व को समझेंगे
“अपना व्यवसाय करने में आने वाली बाधाएं”
“व्यापारिक पृष्टभूमि ना होना व व्यापार का तजुर्बा ना होना “,
कई स्वरोजगार के इच्छुक, स्वरोजगार व व्यापार करने से घबराते हैं तो उन्हें यह भी समझना चाहिए कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने छोटे कामों से शुरुआत की थी ,उन्होंने अपना हुनर निखारा, जोखिम उठाया और दूरंदेशी रखकर ,जीवन में सफलता हासिल की ।
कई युवा, संपन्न परिवार से होकर भी नौकरी करने में जीवन गुजार देने में ही अपनी भलाई समझ लेते है ,इस प्रकार अपनी योग्यता का इस्तेमाल करके आज़ादी से जीवन जीना भूल जाते हैं
पूँजी की व्यवस्था
हर किसी के लिए एक “रकम” लगाकर व्यापार करना संभव नहीं हैं, अपने जेब अनुसार स्वरोजगार या व्यापार ढूंढे । कई लोग नौकरी के साथ-साथ व्यापार के कामों से जुड़े रहते हैं,व पूँजी जमा करते हैं तथा सुविधानुसार व्यापार में कूद पड़ते हैं,यह तरीका काफी कारगर होता है,इसमें समय तो लगता है,पर जोखिम काफी कम हो जाता है ।कई उद्योगपतियों की जीवनी पढ़े तो यही तरीका उन्होंने अपने जीवन में अपनाया ,इस तरीके से काम शुरू करने से पूंजी भी मिल जाती है और तजुर्बा भी ।
स्वरोजगार/व्यापार में असफलता
अगर एक बार असफल हो गए तो घबरायें नहीं, कुछ समय के लिए नौकरी कर लें या ज्ञान /नया हुनर सीखने में अपने आप को लगायें ,मौका मिलने पर फिर से व्यापार करें इस बार अपने तजुर्बे से सीख लेवें ।
“KFC ” के मालिक कर्नल सांडर्स ने कई बार व्यापार में असफलता झेली पर प्रयास करना नहीं छोड़ा, उम्र के 65 वे साल में “KFC” की स्थापना की और इतिहास रच दिया ।
स्वरोजगार या व्यापार करने वाले व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य /आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए,आहार हल्का हो पर पौष्टिक हो इस बात का ध्यान रखें व समय पर भोजन लें ,एक बीमार रहने वाला व्यक्ति अनेक कामों को सफलतापूर्वक अंजाम नहीं दे सकता है यह समझ लें, अपना पर्सनल खर्च व संगत का भी विशेष ध्यान रखें,व्यापार में प्रतिस्पर्धा से न घबरायें अपितु हिम्मत तथा विश्वास से स्पर्धा करें,अपने काम के प्रति अटूट विश्वास ही आपको सफलता दिलाएगा।
मार्केटिंग के गुण आवश्यक
मार्केटिंग सीखने के लिए किसी दुकान में सेल्समैन का काम करना और डायरेक्ट मार्केटिंग (घर घर जाकर सामान बेचना ) इसका भी पर्याप्त अनुभव लेना श्रेयष्कर है अगर आपने कोई बेहतरीन चीज़ तैयार की है ,लेकिन उसे बेचने का तरीका ही नहीं पता तो आप सफल नहीं हो पायेंगे।कई किताबें हैं जो सेल्स (विक्रय) कला के बारे में जानकारी देते हैं तो उसका लाभ अवश्य उठायें , सफल व्यापारी के गुण
एक व्यापारी तथा स्वरोजगार करने वाले व्यक्ति को सफलतापूर्वक व्यापार को चलाने के लिए दूरंदेश होना जरुरी है ,इसलिए अपना ज्ञान बढ़ाते रहें व अपना दायरा संकुचित न रखें। एक व्यापारी को व्यापार चलाने के लिए धैर्य व सहनशीलता की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है ,सफल व्यक्तियों के जीवनियाँ पढ़कर यह पता चलता है कैसे अनेक विपत्तियों का सामना करके अपना विश्वास बनाये रखा और व्यापार को आगे बढ़ाया ,एक उदाहरण लें, तो आज गुजराती समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापार ,स्वरोजगार ढूढ़ने और करने में सबसे ज्यादा सफल हैं ,स्वभाव से शांत ,बोल में मीठापन व उनकी सहनशीलता गजब है,उनका खानपान भी हल्का फुल्का होता है ,कई अफ्रीकी देश जहां युद्ध की स्थिति है, वे मात्र ऐसे जगहों पर सफलता पूर्वक व्यापार करते हुए पाए जातें है जो उनकी विपरीत परिस्तिथियों में व्यापार करने की दक्षता को दर्शाता है, स्वरोजगार करने के इच्छुक कुछ समय के लिये डोर टू डोर मार्केटिंग का काम करें या गरीब बस्ती में सेवा कार्य करें जिससे मानसिक तौर पर अपने व्यापार की चुनोतियों का सामना करने में वे मजबूत बनेंगे ।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यापार में नुक्सान झेला,व दिवालियापन घोषित किया , फिर नयी शुरुआत कर कम्पनी को लाभदायक बनाया तथा अपने आप को सफलतम व्यापारियों की श्रेणि में खड़ा कर दिया ,हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं , वे अमेरिका के राष्ट्रपति भी बने , उन्होंने अपने अनुभवों को एक टीवी शो (प्रोग्राम) में भी साझा किया था , उस शो ने उन्हें काफी लोकप्रियता दी । सफलता के लिए बहुमुखी होना भी एक गुण है ।
शुरुआत में कम आय होने पर घबराएं नहीं उचित बदलाव लाकर प्रयास जारी रखें ,ध्यान रखें की व्यापारी को आलराउंडर होना चाहिए इसलिए ऑप्रेशन,मैनेजमेंट ,मार्केटिंग तथा रिसर्च पर बराबर काम करें ,सच्चाई व ईमानदारी से चलें, अपने घर वालों तथा शुभचिंतकों से दुआएं लें ।
सफल व्यापार मॉडल
अगर हम बड़ी-बड़ी कंपनियों को देखते हैं तथा उनकी सफलता का आंकलन करते हैं ,तो एक मुख्य बात हमारी समझ में आती है ,की उस व्यापारी /उद्योगपति ने एक सफल व्यवस्था/चीज़ बनायीं है उसने पहले तो लोगों की जरुरत समझी,फिर उस पर कार्य किया ।समय देकर तथा ज्ञान /तजुर्बे अनुसार उसे तैयार किया या करवाया ,
इस कार्य में सफल होने के बाद उसने धीरे-धीरे एक व्यवस्था बनायीं , उसमें ऐसे लोगों को रखा जिससे उसका व्यापार कई गुना बढ़ जाये , उत्पाद की मात्रा बढ़ाने के लिए कारीगर रखे ,उत्पाद की गुणवत्ता के लिए इंजीनियर ,उत्पाद बेचने के लिए मार्केटिंग की व सेल्समेन रखे , हिसाब किताब के लिए अकाउंटेंट ,तथा सबको नियंत्रण करने के लिए मैनेजर रखे । व्यापार की निरंतर सफलता की जिम्मेदारी तो मालिक के ही ऊपर थी , इस व्यवस्था की सबसे बड़ी बात तो यह है, की ऐसी चीज़ को बनाना /लाना जो लोगों की जरुरत हो ,कोई नयी चीज़ /को बनाने या इनोवेशन में समय तो लगता है, पर यहाँ उसका ज्ञान,तजुर्बा ,दूरदर्शिता काम आते हैं ,जिससे वह पूरी लगन तथा विश्वास से उसमें लगातार कार्य करता है । सफल कम्पनी में काम करनेवाले सारे लोगों का एक ही उद्द्येश्य होता है ,समय पर उत्पादन करना ,गुणवत्ता का ध्यान रखना तथा समयानुसार बदलाव लाना । एक कहावत भी है जब कोई किसी चीज़ के पीछे पूरी ताकत से पड़ता है ,तो सारी कायनात उसका साथ देती है ,यहाँ पर इतने सारे लोग व्यापार की सफलता के लिए काम करते हैं तो सफल होना बनता ही है ।
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