भारत की कुछ प्रमुख उपलब्धियां भारत एक बड़ा और प्राचीन देश है । हमारी सभ्यता 5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है। हमारी आज़ादी को 75 साल हो गये हैं । एक नज़र उस काल में होने वाली समस्याओं को समझते है और आज के परिपेक्ष में भी देखते है
आज़ादी से पहले बढ़ती हुई आबादी व सामाजिक कुरीतियों की वजह से जन मानस तंगहाली में जी रहा था ,हमारी अधिकतर जनसंख्या अशिक्षित थी,उस समय हम कृषि पर निर्भर थे,परिवार बढ़ने से बटवारा, होने पर हर एक के लिए खेत छोटे पड़ रहे थे । खेतीहरों को शहरों की तरफ काम धंधे के लिए पलायन करना पड़ रहा था । उन्हें बेहद कष्टकारक परिस्थिती में नौकरी करनी पड़ती थी ,आज तो आधी आबादी ही कृषि पर निर्भर है, महिलायें जो आबादी की आधी हिस्सेदार थी ,उनके लिए उस समय शिक्षा के साधन मर्यादित थे और नौकरी पाने की तो व्यवस्था बेहद कम । आज भारत की महिलाएं तकनीक के क्षेत्र में दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में काम करती हैं । कम उम्र में ही परिपक्व हुए बिना विवाह होना आम बात थी । लड़कों पर भी कम उम्र में गृहस्थी की जिम्मेदारी पड़ जाती थी । अक्सर स्त्रियां बच्चों को जन्म देते हुए मर जाती थीं ,विधवा होने पर सामूहिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता था,कई स्थानों में उन्हें अलग-थलग रखकर नारकीय जीवन बिताने पर मजबूर किया जाता था । विधवाओं की पुनः विवाह के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने एक समय जागरूकता फैलाई थी । समाज में जाति प्रथा से होनेवाले भेदभाव का विरोध करके ,महात्मा ज्योतिबा फुले ने दलित समाज में नयी चेतना जगाई । सदियों से पिछड़े व प्रताड़ित दलित समाज को समान अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने जद्दोजेहद की,इस बाबत उन्होंने १८७३ में “सत्य शोधक” संस्था का निर्माण किया था । उस वक्त रात में यात्रा करना हर एक के लिए संभव नहीं होता था ,चोर डाकुओं का डर था आज तो देशभर में लोग सहजता से रात में यात्रा करते हैं, ऐसी अनेकों समस्याओं से भारतीय जूझ रहे थे । इन्ही सामाजिक कुरीतियों पर ७० और ८० के दशक में काफी फ़िल्में बनी ,फिल्म ”सद्गति” में जाति प्रथा से दलितों पर होनेवाले अत्याचार को मार्मिकता से दर्शाया गया है ।श्याम बेनेगल निर्देशित व नेहरूजी द्वारा लिखित ‘भारत एक खोज’ धारावाहिक में भारत के लगभग ७००० हज़ार साल पुराने कार्यकल्पों से लेकर आज़ादी की लड़ाई तक होने वाली प्रमुख बातों व घटनाओं का वर्णन है ,जिससे आज के भारत देश की स्तिथी बनी।इससे देखकर हमें भारत में जन्म लेने पर गर्व होता है,भारतीय परिवेश में सामजिक सुधार पर चिंतन की भी आवश्यकता पड़ती है । आज़ादी की लड़ाई जीतने के बाद आज़ादी दिलानेवाले आंदोलनकारीयों व देशभक्तों ने आने वाली पीढ़ी के लिए विकास की नींव रखी ,सदियों से मानव अघिकार से वंचित रहने वाले देशवासियों को हमारे इन पुरखों ने मानव अधिकार दिलाने व कानून का राज स्थापित करने के लिए अनेक कष्ट झेले व अथक प्रयास किये ,उन्होंने देश में शांति व सहयोग का माहौल बनाया तो देश में विकास होने लगा ,देश का एक बड़ा तबका अज्ञानता से बाहर निकलकर संपन्न हुआ । देश व देशवासियों की जरूरतें पूरे करने के लिए सरकारी संस्थांओं के साथ साथ पब्लिक सेक्टर कंपनियां भी खुली ,इस्पात तैयार करने के लिए सेल(sail ) ,विद्युत् उपकरण बनाने के लिए भेल(bhel ) ,तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए ongc ,रक्षा उपकरण बनाने के लिए (drdo) ,दवा बनाने की कंपनी (idpl) । इनको सुचारु रूप से चलाने के लिए उस वक्त के लोगों ने परिश्रम किया व इन्हे विश्स्तरीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ,इन संस्थानों में लाखों लोगों का उत्थान हुआ जिसमे दलित वर्ग भी शामिल था ,पाठक ध्यान दें आज के जमाने में सरकारी कार्यालयों से भ्रष्टाचार ,घूसखोरी की ख़बरें आने पर आश्चर्य भी नहीं होता ,पर उस वक्त के लोग ईमानदार थे, कर्त्तव्य निष्ठा से उन्होंने काम किया ,तभी यह अरबों की कमाई करने वाली कंपनियां टिक पाईं । फिल्म “मंथन” मशहूर दुग्ध कंपनी अमूल मिल्क के शुरुआती दौर की कहानी है,जो ऐसे एक संस्थान के विकास में आनेवाली कठिनाईयों के बारे में बताती है ।
किसान खेती करने के लिए अधिकतर बारिश के पानी पर ही निर्भर रहता था ,कभी कबार सूखा पड़ने पर उनकी हालत दयनीय हो जाती थी , “दो बीघा जमीन ” फिल्म एक ऐसे छोटे किसान की कहानी है जिसे कर्ज न चुका पाने के वजह से शहर में जाकर कठिन परिस्तिथियों में काम करना पड़ता है,पाठक इसे देखकर उस समय की परिस्तिथियों का अंदाजा लगा सकते हैं ।
किसानों को पानी की आपूर्ति करने के लिए बाँध (भक़रा नांगल व हीराकुड) बनाये गए इससे पंजाब,राजस्थान ,हरियाणा ,ओडीसा के लाखों किसानों को खेतों की सिचाई के लिए पानी मिला । भारत में शिक्षा की जरूरतों को समझने व उसमे सुधार के लिए ,साथ ही विश्वविद्यालयों को मान्यता व अनुदान देने के लिए १९५३ में ugc का गठन हुआ, देश में मेडिकल कॉलेज ( aiims ) व उच्च शिक्षण संस्थान जैसे (iit )भी खुले । क्षेत्रफल के हिसाब से भारत सातवां सबसे बड़ा देश है, देश के करोड़ों परिवार कृषि व पशुपालन संबंधित व्यवसाय से जुड़े हैं। आज़ादी से पहले देश की अर्थ व्यवस्था कृषि पर ही निर्भर थी और किसानो से कर वसूला जाता था पर आज कृषि से कर हटा दिया गया है, देश की खाद्यान की जरूरत को पूरी करने के साथ साथ भारत कई कृषि पदार्थो का बड़ा निर्यातक भी है ।
आज के दौर में,दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनीयर, डाक्टर, तथा व्यवसायिकों को तैयार करने वाले देशों में हम हैं।
विश्व की बड़ी कंपनियाँ जैसे गूगल, माइक्रोसाफ्ट के प्रमुख अधिकारी भारतीय हैं ।
भारत “आई .टी.” क्षेत्र में एक सुपर पाॅवर है । अंतरिक्ष तकनीक में भी हम आगे हैं हमारा यान चन्द्रमा,मंगल गृह पर पहुंचा है , खेल में हमने क्रिकेट में दो बार विश्व कप जीता है ,हॉकी का ओलिंपिक स्वर्ण पदक आठ बार जीता है ,भारत भारी तादात में ,कारें ,मशीने,दवाओं, आभूषण,सॉफ्टवेयर का निर्यात करता है । हमारे देश के अंदर ही कोरोना से लड़ने के लिए उसका टीका (वेक्सिनेशन) बनाने और टीकाकरण का अति महत्त्वपूर्ण कार्य जोरों से चल रहा है, यह एक महान उपलब्धी है व हमारी आत्मनिर्भरता को दर्शाती है,इस विपत्ति की घड़ी में ,देश में जो फ्रंट लाइन वर्कर हैं ,जिसमे डॉक्टर,नर्स,सुरक्षा कर्मी ,सफाई कर्मचारी व प्रशासनिक कर्मचारी हैं बेहद प्रेरणादायक काम कर रहे हैं तथा अखंड भारत की शक्ति को यथार्थ कर रहे हैं ।
देशभर में फैले कोरोना महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था और लोगों के रोजगार पर भारी असर हुआ है । पर्यटन,होटल व कई लघु उद्योग बंद हो गये हैं या नुकसान झेल रहैं हैं । देश पर आयी इस विपत्ति का सामना एकजुटता से करना सारे भारतीयों की जिम्मेदारी है ,पर जो गंभीर समस्याएं भी कुछ दशकों से उभरी है वह चिंता का बड़ा कारण है ।
देश वासियों की कुछ प्रमुख चिंतायें तथा परेशानियां
विश्व में हमारी जनसंख्या दूसरी सबसे बड़ी है ।गांव/कस्बे से बड़ी संख्या में लोग, शहर की तरफ पलायन कर रहें हैं । कई प्रदेशों के किसान बदहाल हैं व आत्महत्या करने पर मजबूर हैं । स्कूल, काॅलेजों में शिक्षा के गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है। विद्यार्थीयों पर प्रतियोगिताओें तथा परीक्षाओं में सफल होने का बड़ा दबाव है।आज हर एक घंटे में एक विद्यार्थी आत्महत्या करता है, इतनी बड़ी संख्या में इंजीनीयर, डाक्टर पैदा करने के बाद भी आजतक मात्र एक भारतीय “सी. वी. रमण” को वैज्ञानिक खोज में “नोबल” पुस्कार मिला है। २०१८ के “क्लारिवाते एनालिटिक्स” के रिपोर्ट में दुनिया के प्रमुख चार हजार वैज्ञानिकों में भारत के सिर्फ 10 ही लोग चुने गये।
अमरीका-२६३९,चीन -४८२, ग्रेट ब्रिटेन -५४६,स्पेन-115 ।
2017 साल में 7000 भारतीय करोड़पति (अति धनाडय)लोग भारत छोड़ विदेश में बस गये,और लगभग इतने ही हर वर्ष देश छोड़ रहें हैं,
हमारे महानगरों में हवा प्रदूषण का बड़ा प्रकोप है ,खाद्यान में मिलावट तथा केमिकल की समस्या है,कोई आश्चर्य नहीं है की भारतीय जनता आज बहुत बड़ी संख्या में BP ,शुगर, पीठ/कमर दर्द,कुपोषण,दिल की बीमारी ,कैंसर से प्रेरित है ,भारत को तो दुनिया का डाइबिटीज राजधानी माना जाता है । व्यायाम न करना मधुमेह व मोटापे का मुख्य कारण है । खेलकूद,व्यायाम व स्वस्थ मनोरंजन के साधनों की भारी कमी के वजह से बीमारियां बढ़ रही है व लोगों में कुंठा है । देश में भ्रष्टाचार,धोखेबाजी ,लूटपाट,अराजकता ,स्त्रियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती जा रही है और इसका दूर दूर तक निदान भी दिखाई नहीं दे रहा है । शहर में रहने वाले बच्चों के लिए खेलने की सुविधाएँ कम हैं ,फलस्वरूप मोबाइल गेम्स ,नशा,अश्लीलता की तरफ ध्यान जा रहा है ,नौजवान इससे प्रभावित होकर गुनाह के रास्ते पर निकल रहें हैं ,देश में दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है,व इससे हर साल लाखों लोगों की अकारण मृत्यु हो रही है ,गावो में प्रभावी शिक्षा की बेहद कमी है, साथ ही स्त्रियों के उत्थान के लिए प्रकल्पों में भी कमी है । कोरोना काल में हमारे डॉक्टर,नर्स,स्वस्थ्य कर्मचारी,सफाई वाले व भोजन उपलब्ध कराने वालों ने साहसिक व प्रेरणादायक काम किया ,भारत की जनसंख्या ज्यादा है व स्वाथ्य कर्मचारी कम ,इस बात को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए अब हर एक विद्यार्थी को सेवा सुश्रुषा सीखने की आवश्यकता पर विचार की जरूरत है ।
देश में ग्लोबल वार्मिंग (मौसम के बदलावों) से होने वाली समस्याओं के प्रति भी उदासीनता है,
ऐसे अनेक परेशानियों से दुसरे विकसित देश भी घिरे थे पर निराशा के दौर में ज्ञान के प्रकाश से वे भी समस्याओं से निपटने का रास्ते खोजते हुए आगे बढे क्योंकि समस्याओं के निदान का सूत्र भी समस्याओं के कारणों में ही छुपा हुआ है ।आज़ादी के लगभग सत्तर सालों में देश में एकता व शांति के माहौल से करोड़ों लोगों को अपने इच्छायें पूरी करने का मौक़ा मिला जिसमे नौकरीपेशा ,व्यापारीगण ,स्वरोजगार करने वाले ,खिलाड़ी ,कलाकार व किसान हैं ,इस व्यवस्था को बल देने की जरूरत है ताकि बाकियों को भी विकास करने का मौक़ा मिले । “क्या भारत में बेरोज़गारी की समस्या है या सीखने की” इस किताब के लेखों को आपके समक्ष रखते हुए बहुत उत्साह महसूस हो रहा है, आशा करता हूँ इससे मिलने वाले जानकारी से जीवन के कई समस्याओं से निपटने में लाभ मिलेगा । .
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