रीडिंग की आदत का सबसे बड़ा फायदा यह है की आज कल के व्यस्त माहौल में
हमें पढ़ते हुए अपने साथ वक्त बिताने का समय मिलता है, अपनी पसंद की किताबें जब बिना किसी प्रेशर के हम पढ़ते हैं ,तो आनंद कुछ और ही रहता है ,विविध किताबों में पात्रो के बारे में पढ़कर उनके जीवन पर सोचने का वक्त मिलता है, इससे जीवन आवश्यक कौशल “विश्लेषण “ करना भी सीखते हैं |
अक्सर लोग अपने स्वभाव या मनपसंद कार्य को समझ नहीं पाते और गलत कोर्स या राह पकड़ लेते हैं, फिर बाद में पछताना पड़ता है, इस सन्दर्भ में किताबें पढ़ने की आदत बनाना उस दौरान अपने साथ समय बिताना ,अपने व्यक्तित्व को समझना, यह एक बेहद लाभप्रद उपक्रम हैं|
आज के समय अपना मनपसंद कार्य/ कोर्स चुनते हुए अपने व्यक्तित्व का भी ध्यान रखना जरुरी है|
करियर की किताबें पढ़ने से कैसे फायदा मिलता है
आज हम बेहद खुशनसीब है कि करियर तथा रोजगार संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए कई किताबें मौजूद है, इन किताबों को पढ़कर हम वक्त आने पर अपने भविष्य के लिए उचित निर्णय ले सकते है| आज विश्व में बड़ी-बड़ी कंपनियों के अधिकारीयों के बारे में कहा गया है, वे हर हफ्ते एक किताब पढ़ते हैं ,जरा सोचिये जो लोग अति संपन्न हैं वो भी विभिन्न किताबों से ज्ञान लेकर खुद को बेहतर बनाने में लगे हुए है, तो फिर हम भी क्यों न रीडिंग की आदत बनाकर लाभ उठायें |
ज्ञान के साथ साथ इस आदत से आत्मविश्वास भी उत्पन्न होता हैं| संघर्ष करते हुए सफल हुए लोगों के बारे में पढ़कर , यह और अधिक उत्पन्न होता है, ऐसी कहानियां बार-बार पढ़कर हम अपने आप को गजब के आत्मविश्वास से भर सकते हैं| यही आत्मविश्वास हमें करियर/ जीवन के शुरूआती झटकों से बचाता है, तथा मुश्किलों का सामना कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता हैं|
आज के समय में अनेक रोजगार/ करियर सम्बन्धी किताबें मौजूद हैै, वे हमें कौन से कॉलेज से कोर्स करना चाहिए फी कितनी है तथा कोर्स के बाद प्लेसमेंट की भी जानकारी देते हैं| इन्हें पढ़कर अपना रोजगार सम्बन्धी ज्ञान बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है|
“जिसे रीडिंग की आदत नहीं है वह दूसरे के ज्ञान पर आश्रित रहता है”
अख़बारों से भी हमें नौकरियों तथा करियर कोर्सेज की जानकारी नियमित रूप से मिलती है| जो इन्हें नहीं पढ़ पाता है तथा व्यर्थ के कार्यों में लगा रहते है, वह नौकरी न मिलने पर अपने नसीब पर रोता हैं |
(अत्यंत विशेष बात नौकरी इच्छुकों के लिए )
“रोजगार समाचार तथा “आवश्यकता है” पढ़कर हम को किसी विशिष्ट पद के लिए कितना तजुर्बा, पात्रता चाहिए इसका पता लगता है| जैसे हम पढ़ते हैं कि कोई ऑफिस में ग्राफिक डिजाइनर की जरूरत है पर उसमे (1-2 साल ) तजुर्बा होना चाहिए, तो अगर हमने कोर्स किया है पर तजुर्बा नहीं हैं , तो हमें तजुर्बा लेने का उपक्रम करना चाहिए| अगर कम वेतन में भी काम करना पड़े ,तो भी कर लेना चाहिए |
उचित तजुर्बा होने पर हमे वह पद आसानी से मिल सकता है| प्राइवेट में तो पदों की रिक्तियां हमेशा होती रहती है|
अगर अंग्रेजी की जानकारी न होने से नौकरी नहीं मिल पा रही है तो समय निकलकर अंग्रेजी में पारंगत बने | अंग्रेजी सीखने पर आपको नौकरी तलाश करने में आसानी हो जाएगी अन्यथा आपका समय व्यर्थ जाता रहेगा | याद रहे जीवन में एक कौशल से काम नहीं बन पा रहा है तो समय की मांग तथा आवयकतानुसार ,एक कौशल और सीख लीजिये | शायद किसी ने एक कहावत भी बनाई है “एक से भले दो”, कुछ लोग एक ही कौशल के आधार पर जीवन बिताने में विश्वास रखते है, यह आज के माहौल के अनुसार उपयुक्त नहीं है, समयनुसार ज्ञान ,कौशल व तजुर्बा बढ़ाना ही श्रेयस्कर हैं, रीडिंग की आदत से यह संभव भी है |
यह बात थी जान लेना चाहिए की सही समय पर तजुर्बा हासिल नहीं करने से तथा मेंहनत का आदि न होने से जीवन राह कठिन हो सकती हैं , सिर्फ पाठ्यक्रम का ज्ञान या डिग्री होना ,कई लोगों के नौकरी मिलने में आज सहायक नहीं है|
अख़बारों, किताबों, मैगजीन में रोजगार हेतु लेख लिखने वाले लोग(पत्रकार) बेहद बुद्धिमान व तजुरबेगार लोग होते हैं, उनके अनुभव का फायदा न उठाने से हमे रोजगार सम्बन्धी महत्वपूर्ण बातें जीवन भर पता ही नहीं चलती हैं , यह नौकरी इच्छुकों के लिए नुकसान दायक हो सकता है|
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